News Room Post

J&K: कश्मीर घाटी में फिर 1990 जैसी दहशत फैलाने की कोशिश, श्रीनगर की मस्जिद में लगे भड़काऊ नारों का Video आया सामने

jamia masjid srinagar

श्रीनगर। कश्मीर घाटी में 1990 में कश्मीरी पंडितों के नरसंहार से पहले जो नजारा दिखा था, वो शुक्रवार को एक बार फिर श्रीनगर में देखा गया। शाम को श्रीनगर के जामिया मस्जिद में इफ्तार से पहले की नमाज के बाद भीड़ में शामिल तमाम लोगों ने आजादी-आजादी और अलगाववाद के समर्थन में नारेबाजी की। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। लोग इस मामले में कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। जेएनयू में प्रोफेसर आनंद रंगनाथन ने अपने ट्विटर हैंडल पर जामिया मस्जिद में लगे अलगाववादी नारों का वीडियो शेयर करते हुए लिखा है कि ये श्रीनगर की मस्जिद का नजारा है और ये 19 जनवरी 1990 नहीं, आज की घटना है।

सरकारी सूत्रों के मुताबिक श्रीनगर की जामिया मस्जिद में हुई घटना का संज्ञान लिया गया है और वहां शुक्रवार को आजादी और अलगाववाद के नारे लगाने वालों पर कार्रवाई की तैयारी है। बता दें कि जामिया मस्जिद के मुतवल्ली मीरवायज उमर फारूक हैं। उमर फारूक कश्मीर में हुर्रियत के एक धड़े के चेयरमैन भी रह चुके हैं। उनके पिता मीरवायज फारूक भी जामिया मस्जिद के मुतवल्ली हुआ करते थे। मीरवायज उमर फारूक पहले भी अलगाववाद के समर्थक रहे हैं। जम्मू-कश्मीर से संबंधित संविधान के अनुच्छेद 370 को खत्म किए जाने के बाद पहली बार घाटी में भीड़ की ओर से अलगाववादी नारे लगाए जाने की बात सामने आई है।

अब आपको बताते हैं कि इस घटना को 19 जनवरी 1990 से क्यों जोड़ा जा रहा है। दरअसल, 19 जनवरी 1990 को इसी तरह के नारे कश्मीर घाटी में लगे थे। तब अलगाववादियों और आतंकियों ने कश्मीरी पंडितों के घरों पर ‘रालिव, सालिव, गालिव’ के नारे लिखे थे। इनका मतलब था कि या तो अपना धर्म बदल लो, या यहां से चले जाओ या फिर मरने के लिए तैयार रहो। इसके बाद ही वहां जमकर हिंसा हुई थी और कश्मीरी पंडितों का कई बार नरसंहार भी हुआ था। इसी पर हाल ही में फिल्म ‘कश्मीर फाइल्स’ भी आ चुकी है। इस फिल्म में कश्मीरी पंडितों पर हुए अत्याचार की घटनाओं को दिखाया गया है।

Exit mobile version