News Room Post

2002 Godhra Train Carnage: गोधरा में 59 कारसेवकों को जिंदा जलाकर मारने के मामले में 20 साल बाद न्याय, दोषी रफीक भटुक को मिली उम्रकैद

godhra accused rafeeq bhatuk

गोधरा। गुजरात के गोधरा स्टेशन के पास साल 2002 में साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 कोच में आगजनी कर कारसेवकों का नरसंहार करने के दोषियों में शामिल रफीक हुसैन भटुक को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। गोधरा के सत्र न्यायाधीश एचपी मेहता ने शनिवार को भटुक को सजा सुनाई। गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के कोच में आग लगाने की घटना के करीब 20 साल बाद भटुक को सजा मिली। इस मामले में सजा पाने वाला वो 35वां आरोपी है। गोधरा में 27 फरवरी 2002 को साबरमती एक्सप्रेस में आगजनी हुई थी। जिसके बाद गुजरात में इतिहास के सबसे भीषण दंगे हुए थे।

रफीक भटुक इस मामले में मुख्य आरोपियों में से एक था। वो घटना के बाद फरार था और करीब 19 साल बाद पिछले साल गोधरा से गिरफ्तार किया गया था। 27 फरवरी 2002 को अयोध्या से साबरमती एक्सप्रेस के जरिए लौट रहे कारसेवकों से भरे एस-6 कोच में एक समुदाय विशेष के 2000 लोगों ने गोधरा स्टेशन के बाहर आग लगा दी थी। इस कोच में 59 कारसेवक थे। आगजनी से बच्चों और महिलाओं समेत इन कारसेवकों की मौत हो गई थी। विशेष सरकारी वकील आरसी कोडेकर के मुताबिक इस मामले में मार्च 2011 में विशेष अदालत ने 31 आरोपियों को दोषी ठहराया था। फिर 2018 में 2 और 2019 में 1 आरोपी को सजा सुनाई गई थी।

घटना के बाद से पुलिस रफीक भटुक को तलाश रही थी। उसे पिछले साल एसओजी ने गोधरा के ही सिग्नल फलिया इलाके से गिरफ्तार किया था। रफीक भटुक फल बेचने का काम करता था। गोधरा कांड से पहले वो मोहम्मदी इलाके में रहता था और बाद में फरार होकर दिल्ली और तमाम अन्य शहरों में छिपकर रहा। जब उसे लगा कि मामला अब ठंडा हो गया है और उसे गिरफ्तार नहीं किया जाएगा, तो वो वापस गोधरा के सिग्नल फलिया में आकर रहने लगा।

Exit mobile version