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Uttar pradesh: यूपी में धर्मांतरण कानून के समर्थन में उतरा रिटायर्ड अधिकारियों का एक समूह, सीएम योगी को लिखा पत्र

CM Yogi Angry

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में हाल ही धर्मांतरण कानून को लागू किया गया है। इस कानून के लागू होते ही सियासी बयानबाजी तेज हो गई थी। वहीं दूसरी तरफ इसको लेकर 100 से ज्यादा रिटायर्ड अधिकारियों ने पत्र लिखकर इस कानून को असंवैधानिक बताया था। हालांकि अब योगी सरकार के इस कानून के समर्थन में 200 से ज्यादा रिटायर्ड अधिकारी उतर आए हैं।

सीएम योगी आदित्यनाथ की सरकार ने प्रदेश में लव जिहाद की बढ़ती घटनाओं को रोकने के लिए यह बिल लाया और इसे कानूनी जामा पहनाया गया। इसी को लेकर जहां रिटायर्ड अधिकारियों का एक धड़ा इसका विरोध कर रहा था वहीं दूसरा धड़ा इस कानून के समर्थन में उतर आया। रिटायर्ड अधिकारियों ने पत्र के जरिए इस कानून का समर्थन करते हुए इसे सही बताया। पत्र लिखकर इस कानून का समर्थन करनेवाले 224 रिटायर्ड अधिकारी फॉर्म ऑफ कंसर्नड सिटिज़न नाम के संगठन से जुड़े हुए हैं।

इस चिट्ठी में स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि जिन रिटायर्ड अधिकारियों ने इस कानून को असंवैधानिक बताया है वह सरकार के हर काम का विरोध करने का स्वभाव रखते हैं। ऐसे में वह विरोध स्वरूप इस कानून को असंबैधानिक बता रहे हैं जबकि इसका कोई आधार उनके पास नहीं है। कानून का समर्थन करनेवाले सेवानिवृत अधिकारियों ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि इस कानून का विरोध कर रहे सेवानिवृत अधिकारी हजारों अधिकारियों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।

वहीं रिटायर्ड अधिकारियों द्वारा इस कानून का समर्थन करते हुए लिखा गया कि जिन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को संविधान के बारे में फिर से पढ़ने की नसीहत दी वह पूरी तरह से गैर जिम्मेदाराना था। ऐसे में जो सेवानिवृत अधिकारी इस कानून को असंवैधानिक बता रहे हैं वह संवैधानिक ढांचे को कमजोर कर रहे हैं। इसके साथ ही चिट्ठी में राज्य सरकारों से यह भी अपील की गई है कि वो जनहित में बेहतर फैसले लेते रहें।

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गैरकानूनी धर्मांतरण निषेध अध्यादेश पारित किया गया जिसके जरिए उन शादियों को निरस्त या खारिज माना जा रहा है जिसमें शादियां सिर्फ धर्मांतरण के उद्देश्य से की गई हों। इसके साथ ही यूपी सरकार ने इसमें इस तरह के कानूनों का उल्लंघन करनेवालों को 10 साल की सजा का भी प्रावधान किया है। यूपी सरकार की तरफ से इस धर्मांतरण कानून के मसौदे को 24 नवंबर को मंजूरी दी गई थी।

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