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Balasore Train Accident: इस साल फरवरी में भी होते बचा था बालासोर जैसा ट्रेन हादसा, तब सामने आई थी ये गंभीर वजह

Coromandel Train Accident

बालासोर। ओडिशा के बालासोर में हुए भीषण ट्रेन हादसे में 288 जिंदगियां खत्म हो गईं। 700 से ज्यादा यात्री घायल हुए। अब जानकारी ये सामने आई है कि इस साल फरवरी में भी ऐसा ही भीषण ट्रेन हादसा होते बाल-बाल बचा था। ट्रेन ड्राइवर की सजगता ने उस हादसे को बचा लिया था। मामला 8 फरवरी का है। उस दिन बेंगलुरु-नई दिल्ली संपर्क क्रांति एक्सप्रेस मैसुरु डिवीजन के होसादुर्गा स्टेशन पर मालगाड़ी से भिड़ने से बची थी। उस मामले की जांच दक्षिण-पश्चिम रेलवे के प्रमुख चीफ ऑपरेशन मैनेजर PCOM हरिशंकर वर्मा ने की थी। उन्होंने सिग्नल संभालने वाले स्टाफ की बड़ी गलती अपनी रिपोर्ट में बताई थी।

अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक पीसीओएम हरिशंकर वर्मा ने रेलवे को बताया था कि सिस्टम में बड़ी खामी है और इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग को बाइपास किया जाता है। उन्होंने बताया था कि इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल मेंटेनर ESM की तरफ से सिग्नलों को बाइपास किया जाता है। जिसकी वजह से संपर्क क्रांति एक्सप्रेस एक खड़ी मालगाड़ी से टकरा सकती थी। वर्मा ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि अगर सिग्नल मेंटेनेंस सिस्टम पर नजर न रखी गई तो भविष्य में भीषण ट्रेन हादसा हो सकता है। इस रिपोर्ट के तीन महीने में ही बालासोर में ये हादसा हो गया।

अखबार ने सूत्रों के हवाले से खबर दी है सिग्नल मेंटेनर हर जोन में चुपचाप सिग्नल को इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम से बाइपास कर देते हैं। सिग्नल में किसी गड़बड़ी की वजह से ट्रेन परिचालन में होने वाली बाधा को खत्म करने के लिए वे ऐसा करते हैं। लोकेशन बॉक्स से सिग्नल को बाइपास किया जाता है। इससे सिग्नल सिस्टम में खराबी का पता नहीं चलता। यानी मैनुअली भी काम चल जाता है। जबकि, ट्रेन के रूटों पर अब इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग होती है। यानी पटरी बदलने के हिसाब से ट्रेनों को सिग्नल मिलता है।

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