गंगावती (कोप्पल)। बिहार के बाद अब कर्नाटक में भी जातिगत सर्वे की रिपोर्ट को राज्य की सिद्धारामैया सरकार जारी करने वाली है। कर्नाटक में पूर्व की सरकार ने जातिगत सर्वे कराया था, लेकिन इसकी रिपोर्ट जारी नहीं की थी। अब यलबुर्गा सीट से कांग्रेस विधायक बसवराज रयार्डी ने बताया है कि कांग्रेस सरकार कर्नाटक के जातिगत सर्वे की रिपोर्ट 10 नवंबर तक जारी करेगी। कोप्पल जिले के गंगावती में शुक्रवार को मीडिया से बात करते हुए कांग्रेस विधायक बसवराज रयार्डी ने बताया कि जातिगत सर्व की रिपोर्ट कर्नाटक पिछड़ी जाति आयोग के अध्यक्ष जयप्रकाश हेगड़े जारी करेंगे। बसवराज रयार्डी ने ये दावा भी किया कि कर्नाटक में जातीय समीकरण की वजह से लिंगायत और वोक्कालिगा समुदाय के साथ अन्याय हो रहा है। उन्होंने कहा कि जातिगत सर्वे की रिपोर्ट से पता चलेगा कि किस समुदाय को कितना आरक्षण देना है।
कांग्रेस के विधायक बसवराज रयार्डी ने दावा किया कि अनुसूचित जाति के 90 फीसदी से ज्यादा बच्चों को अब अच्छे नंबर मिलते हैं। रयार्डी ने ये भी कहा कि वो भ्रष्टाचार और जाति की बातों की वजह से राजनीति से दूर रहना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि राजनीति से दूर रहने पर भी वो खुश रहेंगे। बसवराज रयार्डी ने राजनीतिक माहौल से भी नाखुशी जताई है। उन्होंने कहा कि जनता जो भी मुद्दे उनके सामने लाएगी, उसे वो सिद्धारामैया सरकार तक ले जाएंगे। कांग्रेस विधायक ने ये भी कहा कि जो 5 घोषणाएं सिद्धारामैया सरकार ने की हैं, उनके लिए कर्नाटक के खजाने में धन की कोई कमी नहीं है। रयार्डी ने कहा कि सीएम और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार सभी दिक्कतों का हल तलाश रहे हैं।
रयार्डी के दावे से साफ है कि बिहार के बाद जातिगत सर्वे के आंकड़े सार्वजनिक करने वाला कर्नाटक दूसरा राज्य होगा। इससे पहले सवाल उठ रहे थे कि कर्नाटक में जब जातिगत सर्वे पहले ही कराया जा चुका है, तो इसकी रिपोर्ट सिद्धारामैया सरकार सार्वजनिक क्यों नहीं कर रही? वहीं, कांग्रेस नेता राहुल गांधी लगातार अपनी जनसभाओं में कह रहे हैं कि कांग्रेस की जहां भी सरकार बनेगी, पहला फैसला जातिगत सर्वे का कैबिनेट करेगी। वहीं, बीजेपी की तरफ से पीएम नरेंद्र मोदी अपनी एक जनसभा में समाज को जाति के नाम पर बांटने को पाप बता चुके हैं। मोदी ने जनसभा में कहा था कि विपक्ष के लोग जितनी जिसकी भागीदारी उतनी हिस्सेदारी की बात कर रहे हैं। बिहार के जातिगत सर्वे का उदाहरण देते हुए मोदी ने सवाल उठाया था कि इसमें तो हिंदुओं की सबसे ज्यादा संख्या है, तो क्या हिंदू अपना अधिकार अन्य समुदायों से छीन लें? मोदी के इस सवाल पर अब तक विपक्ष के किसी नेता ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।