नई दिल्ली। केंद्र सरकार ईद के बाद संसद में वक्फ संशोधन बिल पेश करने वाली है। माना जा रहा है कि 1 अप्रैल को लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल पेश किया जाएगा। मीडिया की खबरों के मुताबिक चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी और चिराग पासवान की एलजेपी-आर ने वक्फ संशोधन बिल के समर्थन का फैसला किया है। नीतीश कुमार की जेडीयू और कुछ अन्य दलों से सरकार बातचीत कर रही है। वक्फ संशोधन बिल संविधान में संशोधन के लिए है। ऐसे में वक्फ संशोधन बिल को लोकसभा के अलावा राज्यसभा से भी पास कराना होगा। राज्यसभा में एनडीए बहुमत के करीब है। अगर बीजेडी, वाईएसआरसीपी और उद्धव ठाकरे वाली शिवसेना को मोदी सरकार पक्ष में कर लेती है, तो राज्यसभा से भी वक्फ संशोधन बिल पास हो जाएगा।
संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण 4 अप्रैल को खत्म होगा। ऐसे में सरकार अगर 1 अप्रैल को लोकसभा में बिल पेश करती है, तो 3 दिन में इसे लोकसभा और राज्यसभा से पास कराना शायद संभव न हो। ऐसे में सरकार वक्फ संशोधन बिल पर विस्तृत चर्चा कराएगी और फिर बिल को संसद के मॉनसून सत्र में पास कराया जाएगा। वक्फ संशोधन बिल को अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री किरेन रिजिजू ने अगस्त 2024 में लोकसभा में पेश किया था। जिसके बाद विपक्षी दलों से विस्तृत चर्चा के लिए वक्फ संशोधन बिल को जेपीसी में भेजा गया था। जेपीसी ने वक्फ संशोधन बिल में कई संशोधन सुझाए। इसके लिए मुस्लिम संगठनों का भी जेपीसी ने प्रतिवेदन लिया था।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड समेत तमाम मुस्लिम संगठनों ने वक्फ संशोधन बिल का विरोध किया है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सोमवार को वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रदर्शन भी किया था। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रदर्शन में विपक्ष के तमाम नेता भी शामिल हुए थे। बोर्ड और अन्य मुस्लिम संगठनों का आरोप है कि वक्फ संशोधन बिल को पास कराकर सरकार वक्फ की संपत्तियों पर कब्जा करना चाहती है। उनको ये भी नागवार है कि वक्फ में गैर मुस्लिम सदस्य क्यों रखने का प्रावधान है। मुस्लिम संगठनों ने धमकी दी है कि अगर वक्फ संशोधन बिल पास कराया गया, तो पूरे देश में शाहीन बाग जैसा विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। ऐसे में सरकार को ये भी देखना होगा कि कहीं भी कानून और व्यवस्था की स्थिति न गड़बड़ाए।