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Nupur Sharma: सोशल मीडिया पर निशाना बनने के बाद जज साहब के बदल गए सुर, इस बार नरमी से नूपुर शर्मा से कहा…

nupur sharma and supreme court

नई दिल्ली। पैगंबर विवाद में खुद के खिलाफ अलग-अलग राज्यों में केस और जान से मारने की धमकी के मामले में बीजेपी से सस्पेंड की गईं नूपुर शर्मा पर इस बार सुप्रीम कोर्ट मेहरबान रहा। पिछली बार की तरह इस बार भी जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारदीवाला ने केस को सुना, लेकिन दोनों का मिजाज पिछली बार से बिल्कुल अलग था। इस बार जजों ने नूपुर की अर्जी की सुनवाई के दौरान ये भी कहा कि पिछली बार जो संदेश हम देना चाहते थे, वो सही तौर पर नहीं गया। हम कभी नहीं चाहते थे कि आपको दर-दर की ठोकर खानी पड़े और आपकी या परिवार की जान खतरे में पड़े। दरअसल, पिछली बार 1 जुलाई को दोनों जजों ने नूपुर शर्मा के बारे में ये तक कह दिया था कि देश के मौजूदा हालात आपके ही बयान की वजह से है। उन्होंने मौखिक तौर पर और भी फटकार लगाई थी। जिसका सोशल मीडिया में जमकर विरोध हुआ था। लोगों ने तब दोनों जजों को खरी-खोटी सुनाई थी।

कोर्ट ने कहा कि हमें तथ्यों को सही करना चाहिए। शायद हम सही ढंग से नहीं बता पाए, लेकिन हम कभी नहीं चाहते थे कि आप राहत के लिए हर अदालत में जाएं। इसके साथ ही कोर्ट ने मंगलवार को नूपुर शर्मा के खिलाफ दर्ज सभी एफआईआर पर 10 अगस्त  तक कोई कार्रवाई न करने का आदेश दे दिया। बता दें कि 26 मई को टीवी डिबेट के दौरान नूपुर शर्मा ने पैगंबर के बारे में कथित तौर पर विवादित टिप्पणी की थी। इसके बाद उनको जान से मारने और रेप करने की धमकियां मिलने लगीं। कई राज्यों में एफआईआर हुई थी। जिसे एक जगह लाने के लिए नूपुर ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, लेकिन 1 जुलाई को कोर्ट ने अर्जी को ठुकराते हुए नूपुर को देश की हालत के लिए जिम्मेदार बता दिया था।

इस बार कोर्ट की बेंच ने नूपुर को न सिर्फ 10 अगस्त तक गिरफ्तारी से राहत दी, बल्कि उनको अलग से हलफनामा देने की भी मंजूरी दी। नूपुर के वकील ने कोर्ट को बताया कि किस तरह तमाम लोगों ने नूपुर का सिर तन से जुदा करने का बयान दिया और हाल ही में पाकिस्तान से भी एक शख्स उनको मारने के लिए आ गया। कोर्ट ने कहा कि क्या सारी घटनाएं 1 जुलाई के बाद की हैं, इस पर नूपुर की तरफ से हां में जवाब दिया गया। नूपुर की तरफ से इस पर कहा गया कि ये धमकियां वास्तविक हैं और नूपुर के जीवन के लिए लगातार खतरा लग रहा है। कोर्ट ने इस पर कहा कि हमारी चिंता ये है कि अर्जी देने वाले को कानूनी उपाय का लाभ उठाने से रोका न जाए। हम इस बारे में आदेश देंगे।

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