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Ajab Gazab News: भारत का वो मंदिर जहां ग्रहण के दिन भी होती है पूजा-आरती, जानिए क्या है इसके पीछे की वजह

नई दिल्ली। हिंदू धर्म में ग्रहण एक महत्वपूर्ण काल माना जाता है। इस दौरान किसी भी शुभ कार्य को करना अशुभ माना जाता है। किसी भी ग्रहण के कई घंटों पहले से ही सूतक काल लग जाता है, जिसमें पूजा-पाठ करना भी वर्जित होता है। ऐसे में देश के सभी मंदिरों के पट भी बंद कर दिए जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश में एक ऐसा भी मंदिर है जो ग्रहण काल के दौरान भी खुला रहता है। राजस्थान के सीकरी के फतेहपुर में स्थित श्री लक्ष्मीनाथ मंदिर में सूतक काल में न केवल मंदिर के पट खुले रहते हैं बल्कि विधि-पूर्वक भगवान की पूजा भी होती है। मंदिर की इस परंपरा के पीछे एक ऐसी कथा मशहूर है, जिसे जानकर आपको हैरानी होगी। तो आइए जानते हैं कि क्या है वो कथा…

प्रचलित कथा के अनुसार, कई सालों पहले एक बार चंद्र ग्रहण के दौरान सूतक काल में मंदिर के पट बंद कर दिए गए थे। ऐसे में भगवान को भोग नहीं लगाया जा सका। इसके बाद रात के समय मंदिर के सामने स्थित हलवाई की दुकान पर श्री लक्ष्मीनाथ जी महाराज बालक के रूप में पहुंचे। बालक ने उस हलवाई से कहा कि यहां तो प्रसाद बंट रहा है, मुझे भी बहुत तेज भूख लगी है। चाहो तो आप मेरी पैजनी रख लो और इसके  बदले में मुझे प्रसाद दे दो। इसके बाद हलवाई ने पैजनी रखकर बालक को प्रसाद दे दिया। इसके बाद जब सुबह मंदिर के पट खोले गए तो वहां के पुजारियों ने देखा कि भगवान की एक पैजनी गायब है।

ये बात आग की तरह मंदिर के पंचों और बाजारों तक फैल गई। जब ये बात हलवाई तक पहुंची तो उसने रात की पूरी घटना बताई। उस दिन के बाद से मंदिर में सूतक काल के दिन भी भोग और आरती होने लगी। कहा जाता है कि इस मंदिर में साक्षात नारायण विराजते हैं। श्रावण, भादवा व कार्तिक महीने में भगवान का विशेष श्रंगार किया जाता है।

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