लखनऊ। आज समाजवादी पार्टी खेमे से पहले खबर आई कि अखिलेश यादव ने अपने चाचा शिवपाल यादव को साथ जोड़ने के बावजूद उन्हें सीट देने के मामले में ठेंगा दिखा दिया और सिर्फ जसवंतनगर की सीट देने की बात कही है। जसवंतनगर सीट से शिवपाल ही खड़े होते और जीतते हैं। हालांकि, अखिलेश ने सिर्फ अपने चाचा को ही ठेंगा नहीं दिखाया है। अखिलेश ने देश के सीनियर मोस्ट नेता और नेशनलिस्ट कांग्रेस के चीफ शरद पवार को भी ठेंगा दिखा दिया है। शरद पवार ने कहा था कि वो यूपी के चुनावी मैदान में भी उतरेंगे। अब तक उनके इस सपने को अखिलेश ने पूरा नहीं होने दिया है। बात 11 जनवरी की है। जब बीजेपी छोड़कर स्वामी प्रसाद मौर्य ने सपा में जाने का एलान किया था।
स्वामी प्रसाद के इस एलान के बाद ही मुंबई में शरद पवार ने बयान दिया था कि उनकी पार्टी एनसीपी भी यूपी में विधानसभा चुनाव लड़ेगी। पवार ने उस दिन कहा था कि यूपी में वो सपा से गठबंधन कर मैदान में अपना उम्मीदवार उतारेंगे, लेकिन न जाने क्या हुआ कि अब तक अखिलेश यादव ने सिर्फ आरएलडी के साथ ही अपने उम्मीदवारों की सीटों का एलान किया है। शरद पवार और चाचा शिवपाल सिंह की पार्टी के लिए सीटों का एलान अब तक अखिलेश ने नहीं किया।
शरद पवार ने सपा के साथ गठबंधन की बात कहते वक्त बहुत उत्साह दिखाया था। उनका कहना था कि यूपी में बदलाव आने वाला है, लेकिन उनके उत्साह पर फिलहाल अखिलेश ने पानी डाल रखा है। यहां तक कि पवार का बयान आने के बाद भी अखिलेश ने उनसे गठबंधन पर कुछ नहीं कहा था और अब भी उन्होंने शरद पवार की पार्टी को सीटें देने के बारे में चुप्पी साध रखी है। यूपी में 10 फरवरी को पहले दौर की वोटिंग है। 15 जनवरी से नामांकन दाखिल करने का काम चल रहा है। अब जबकि, अखिलेश ने पवार की पार्टी के लिए कोई सीट छोड़ने पर कुछ नहीं कहा है, तो एनसीपी खेमे में ये चर्चा भी होने लगी है कि सपा की ओर से कोई सीट मिलेगी या नहीं।