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Allahabad High Court Praises Yogi Adityanath Govt: ‘यूपी का जबरन धर्मांतरण रोकने वाला कानून धर्मनिरपेक्षता की भावना बनाए रखने वाला’, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने योगी सरकार के कदम पर लगाई मुहर

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार की तरफ से जबरन धर्मांतरण को रोकने वाले कानून पर मुहर लगाते हुए इसे धर्मनिरपेक्षता की भावना बनाए रखने वाला बताया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की बेंच ने कहा कि यूपी विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध एक्ट 2021 लाने का मकसद सभी को धार्मिक आजादी की गारंटी देना है। कोर्ट ने ये भी कहा कि योगी सरकार का जबरन धर्मांतरण रोकने वाला कानून सामाजिक सद्भावना को भी दिखाता है। कोर्ट ने कहा कि संविधान हर किसी को अपना धर्म मानने, पालन और प्रचार की मंजूरी देता है, लेकिन इससे व्यक्तिगत अधिकार, धर्म बदलवाने के सामूहिक अधिकार में नहीं बदलता। हाईकोर्ट की इस टिप्पणी से सपा और कांग्रेस को जोर का झटका जरूर लगा होगा, क्योंकि उन्होंने जबरन धर्मांतरण रोकने वाले कानून का जमकर विरोध किया था।

जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल ने जबरन इस्लाम कबूल कराने और यौन शोषण करने के आरोपी की जमानत अर्जी खारिज करते हुए कहा कि धार्मिक आजादी, धर्म बदलवाने वाले व्यक्ति और धर्म बदलने वाले शख्स को समान रूप से मिलती है। कोर्ट ने जमानत की अर्जी देने वाले अजीम के बारे में कहा कि उसने कथित तौर पर पीड़ित महिला को बंदी बनाकर रखा और परिवार के सदस्यों ने उसे कुछ इस्लामी अनुष्ठान करने के लिए मजबूर किया। कोर्ट ने कहा कि जमानत की अर्जी देने वाला अजीम ऐसा कोई सबूत रिकॉर्ड पर नहीं ला सका कि उसने विवाह से पहले लड़की को इस्लाम में धर्मांतरित करने के लिए धर्मांतरण विरोधी कानून 2021 की धारा 8 के तहत कोई आवेदन दाखिल कराया था।

जमानत की अर्जी देने वाले अजीम पर युवती ने जबरन इस्लाम कबूल कराकर यौन शोषण का आरोप लगाया था। अजीम पर पुलिस ने आईपीसी की कई धाराओं के साथ ही यूपी विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध एक्ट के तहत केस दर्ज किया था। अजीम ने जमानत की अर्जी में कहा था कि उसे झूठा फंसाया गया। उसने ये भी दलील दी कि केस करने वाली युवती उसके साथ रिश्ते में थी और अपनी मर्जी से घर छोड़कर चली गई। अजीम का ये भी दावा था कि इस मामले में धारा 161 और धारा 164 सीआरपीसी के तहत दर्ज बयानों में युवती ने शादी की पुष्टि भी की थी।

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