News Room Post

Gyanvapi Survey: मुस्लिम पक्ष ने ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे का किया बहिष्कार, नोटिस न मिलने का लगाया आरोप जबकि मीटिंग में भी नहीं गए थे

मुस्लिम पक्षकारों का कहना है कि 1991 के प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट के तहत ज्ञानवापी मस्जिद का मसला कोर्ट में नहीं लाया जा सकता। इस पर पहले ही वाराणसी के जिला जज ने फैसला दिया था कि हिंदू पक्ष की तरफ से पूजा-अर्चना की मंजूरी मांगी गई है। इस वजह से ये मामला प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट के तहत नहीं आता है।

gyanvapi masjid in varanasi

वाराणसी। यूपी के वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे किया जा रहा है। वाराणसी के जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश के निर्देश पर एएसआई ये वैज्ञानिक सर्वे कर रहा है। सर्वे का काम करीब 5 दिन में पूरा हो सकता है। पहले एएसआई की टीम पश्चिमी दीवार का परीक्षण कर रही है। 45 लोगों की टीम सर्वे का काम जारी रखे हुए है। इस बीच, खबर है कि मुस्लिम पक्ष यानी मसाजिद कमेटी ने एएसआई सर्वे का बहिष्कार कर दिया है। न्यूज चैनल टाइम्स नाउ नवभारत की खबर के मुताबिक मुस्लिम पक्ष ने आरोप लगाया है कि उनको सर्वे के लिए कोई नोटिस नहीं मिला।

मुस्लिम पक्ष का ये भी कहना है कि सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले सर्वे कराना गलत है। जबकि, हकीकत ये है कि जिला जज की तरफ से बीते शुक्रवार को सर्वे का आदेश दिया गया था। जिसके खिलाफ अंजुमन इंतेजामिया कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में दस्तक दी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सर्वे पर अब तक रोक नहीं लगाई। खास बात ये भी है कि एएसआई की टीम जब रविवार को वाराणसी पहुंची थी, तो कमिश्नर और डीएम ने इस टीम के साथ हिंदू और मुस्लिम पक्ष के वकीलों को भी बैठक के लिए बुलाया था। न्यूज चैनल के मुताबिक इस बैठक में अंजुमन इंतेजामिया कमेटी का कोई भी वकील या पक्षकार नहीं गया।

मुस्लिम पक्षकारों का कहना है कि 1991 के प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट के तहत ज्ञानवापी मस्जिद का मसला कोर्ट में नहीं लाया जा सकता। इस पर पहले ही वाराणसी के जिला जज ने फैसला दिया था कि हिंदू पक्ष की तरफ से पूजा-अर्चना की मंजूरी मांगी गई है। इस वजह से ये मामला प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट के तहत नहीं आता है। जिला जज के इस फैसले को भी ऊंची अदालत में अंजुमन इंतेजामिया कमेटी ने चुनौती दे रखी है।

Exit mobile version