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UP Election: करहल सीट से मैदान में उतरे अखिलेश, लेकिन घर की बहू ने अगर चुनौती दी तो…

मैनपुरी। उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मैनपुरी जिले की करहल सीट पर अब सबकी निगाहें टिक गई हैं। इसकी वजह बने हैं सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव। अखिलेश आजमगढ़ से सांसद हैं और राजनीतिक जीवन में पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ने मैदान में उतरे हैं। चर्चा इसकी है कि उनके ही खानदान की छोटी बहू अपर्णा यादव को बीजेपी करहल सीट का टिकट दे सकती है। बीजेपी इससे ये साबित करने की कोशिश करेगी कि मुलायम सिंह यादव के खानदान में ही एकता नहीं है। अपर्णा बीजेपी में आने के बाद साफ कह चुकी हैं कि उनके लिए राष्ट्र प्रथम का मुद्दा ही सबसे ऊपर है। क्या अपर्णा यहां अखिलेश को हरा सकेंगी? इस सवाल का जवाब अभी कोई नहीं दे पा रहा है।

अपर्णा हालांकि कह चुकी हैं कि अगर बीजेपी उन्हें करहल से चुनाव लड़ाना चाहेगी, तो वो अखिलेश यादव को चुनौती देने के लिए भी तैयार हैं। अब जरा करहल सीट पर नजर डाल लेते हैं। सपा के गढ़ करहल के 3 लाख 71 हजार वोटरों में यादव करीब 38 फीसदी यानी 1 लाख 44 हजार हैं। अपर्णा जन्म से उत्तराखंडी हैं, लेकिन वो भी शादी के बाद मुलायम सिंह के यादव खानदान की बहू हैं। ऐसे में अगर अपर्णा करहल से लड़ती हैं और यहां के वोटरों को ये समझा ले जाती हैं कि मुलायम सिंह का आशीर्वाद उन्हें हासिल है, तो अखिलेश भले ही मैदान मारें, लेकिन उनकी जीत का अंतर काफी कम भी हो सकता है।

करहल सीट पर 2017 में सपा ने जीत हासिल की थी। ये सपा का गढ़ कही जाती है। वजह ये है कि साल 2002 में ही सपा यहां बीजेपी से हारी थी। वरना 1993 से लेकर अब तक सपा का उम्मीदवार ही करहल सीट को जीतता रहा है। सपा के उम्मीदवार रहे बाबूराम यादव साल 1993 और 1996 में करहल सीट से जीते थे। इसके बाद 2002 में बीजेपी से सोबरन सिंह यादव ने सपा को हराया था। सोबरन सिंह ने बाद में सपा के खेमे में पहुंचकर साल 2007 में करहल सीट फिर जीत ली। साल 2017 में भी सोबरन ही सपा के टिकट पर यहां से विधायक बने थे।

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