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Arnab Bail Taloja Jail: तलोजा जेल से बाहर आते ही अर्नब गोस्वामी ने लगाया ये नारा

Arnab Goswmai Taloja Jail

नई दिल्ली। 2018 में इंटीरियर डिजाइनर को आत्महत्या के लिए उकसाने वाले मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने जहां रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क के एडिटर-इन-चीफ अर्नब गोस्वामी को अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया था वहीं अब सुप्रीम कोर्ट ने इस पूरे मामले में अर्नब को जमानत दे दी है। सुप्रीम कोर्ट की तरफ से अर्नब की रिहाई के आदेश जारी करने के बाद अब अर्नब गोस्वामी जेल से बाहर आ गए हैं। बता दें कि अर्नब को गिरफ्तार करने के बाद उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया था। फिलहाल बाद में उन्हें तलोजा जेल शिफ्ट कर दिया गया था। हालांकि अर्नब गोस्वामी तलोजा जेल से अब बाहर आ गए हैं, रात को करीब साढ़े आठ बजे अर्नब जेल से बाहर आये। अर्नब की झलक पाने के लिए तलोजा जेल के बाहर समर्थकों का भारी जमावड़ा लगा रहा। सुरक्षा के लिहाज से भारी पुलिसबल भी तैनात है।

जेल से बाहर निकलने के बाद अर्नब ने जोश के साथ भारत माता की जय और वन्दे मातरम् के नारे लगाए। अर्नब ने कहा कि ये भारत के लोगों की जीत है। मैं सुप्रीम कोर्ट का आभारी हूँ। वहीं इसके पहले अर्नब की जमानत पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट (Suprem Court) ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा था कि अगर राज्य सरकारें व्यक्तियों को टारगेट करती हैं, तो उन्हें पता होना चाहिए कि नागरिकों की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए शीर्ष अदालत है। कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से इस सब (अर्नब के टीवी पर तानो) को नजरअंदाज करने की नसीहत दी।

सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि हमारा लोकतंत्र असाधारण रूप से लचीला है, महाराष्ट्र सरकार को इस सब (अर्नब के टीवी पर ताने) को नजरअंदाज करना चाहिए। इस दौरान कोर्ट के अर्नब गोस्वामी की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने मामले की जांच सीबीआई के कराने की मांग की है। उन्होंने कहा कि अगर कोई व्यक्ति महाराष्ट्र में आत्महत्या करता है और सरकार को दोषी ठहराता है, तो क्या मुख्यमंत्री को गिरफ्तार किया जाएगा?

सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, ‘यदि हम एक संवैधानिक न्यायालय के रूप में व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा नहीं करेंगे, तो कौन करेगा?… अगर कोई राज्य किसी व्यक्ति को जानबूझकर टारगेट करता है, तो एक मजबूत संदेश देने की आवश्यकता है। हमारा लोकतंत्र असाधारण रूप से लचीला है।

इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हम व्यक्तिगत आजादी की बात कर रहे हैं। अगर आपको किसी चैनल  की बात पसंद ना हो और विचारधारा अलग हो तो चैनल को ना देखें। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर आगे कहा कि तकनीकी मुद्दे इसकी वजह नहीं हो सकते हैं। किसी से पूछताछ के लिए उसकी गिरफ्तारी क्या जरूरी थी?

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