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Bhojshala: ‘भोजशाला में मूल विशेषताओं को भराव करके छिपाया गया’, वैज्ञानिक सर्वे के लिए और वक्त मांगते हुए एएसआई ने कोर्ट में दी बड़ी जानकारी

धार। मध्यप्रदेश के धार स्थित भोजशाला का एएसआई सर्वे चल रहा है। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के आदेश पर एएसआई ने धार के भोजशाला में 22 मार्च से वैज्ञानिक सर्वे शुरू किया था। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने विवादित भोजशाला परिसर के वैज्ञानिक सर्वे के लिए एएसआई को 6 हफ्ते का वक्त दिया था। अब एएसआई ने कोर्ट से और 8 हफ्ते का वक्त मांगा है। एएसआई ने ज्यादा वक्त मांगे जाने की बहुत अहम एक वजह भी कोर्ट में बताई है।

एएसआई ने हाईकोर्ट में अर्जी देकर भोजशाला के सर्वे के लिए और 8 हफ्ते का वक्त मांगा और इसकी वजह ये बताई कि यहां बारीकी से जांच करने के बाद पता चला है कि प्रवेश द्वार के बरामदे में बाद में भराव किया गया। भोजशाला के बरामदे में बाद में जो भराव किया गया, उससे इस संरचना की मूल विशेषताएं छिप रही हैं। एएसआई ने हाईकोर्ट में कहा है कि मूल संरचना को नुकसान पहुंचाए बिना इस भराव को हटाना है। ये काम काफी धीमा और समय लेने वाला है। एएसआई ने कहा है कि एनजीआरआई से उसने ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार का इस्तेमाल किए जाने का अनुरोध किया है। ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार से पत्थरों और जमीन के नीचे छिपी चीजें आसानी से दिख जाती हैं।

बता दें कि धार स्थित भोजशाला को हिंदू समुदाय माता सरस्वती का मंदिर मानता है। वहीं, मुस्लिम समुदाय इसे कमाल मौला मस्जिद बताता है। हिंदू समुदाय का कहना है कि यहां माता सरस्वती की मूर्ति स्थापित थी। जो अंग्रेज अपने साथ लंदन के म्यूजियम ले गए। धार जिले की सरकारी वेबसाइट के मुताबिक भोजशाला का निर्माण परमार वंश के प्रतापी सम्राट भोज ने कराया था। सरकारी वेबसाइट के मुताबिक यहां शिक्षा दी जाती थी। फिलहाल हर मंगलवार को भोजशाला में हिंदुओं को पूजा करने और शुक्रवार को मुस्लिम समाज को नमाज पढ़ने की मंजूरी मिली हुई है।

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