News Room Post

Asia Pacific : एशिया में अमेरिका की चीन के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण सहयोगी होगा भारत, अमेरिकी सुरक्षा के प्रपत्र में कई बार किया जिक्र

नई दिल्ली। एक तरफ एशिया में चीन एक महाशक्ति के रूप में उभर कर सामने आ रहा है तो दूसरी तरफ पहले से महाशक्ति के रूप में स्थापित अमेरिका इस बात को लेकर चिंतित है। एक तरफ चीन को रूस का समर्थन प्राप्त है तो दूसरी तरफ एशिया में अमेरिका चीन से लड़ने के लिए जापान और भारत की मदद को देख रहा है। ऐसे में बदलते वैश्विक माहौल में अमेरिका की सबसे बड़ी रणनीतिक चुनौती चीन की उभरती ताकत को रोकना और रूस के आक्रामक रवैये पर काबू पाना है। इन दोनों हालात में भारत उसका एक अहम सहयोगी देश साबित हो सकता है। बुधवार को अमेरिका के बाइडन प्रशासन की तरफ से जारी राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति का लब्बोलुआब यही है। इस रणनीतिक प्रपत्र में कई बार भारत का जिक्र है लेकिन भारत की भूमिका प्रशांत-हिंद क्षेत्र में ही ज्यादा महत्वपूर्ण बताई गई है। अमेरिका यह बात हर मंच पर कहता आया है कि भारत उसका एशिया में सबसे बड़ा रणनीतिक सहयोगी है।

अमेरिका ने भारत को एक लोकतांत्रिक राजनीति वाला देश और प्रमुख रक्षा साझीदार बताया, उसके साथ ही अमेरिका ने कहा कि वह हिंद प्रशांत क्षेत्र को खुला और सभी के लिए समान अवसर वाला बनाने के लिए काम करेगा। लेकिन इस रणनीति का बहुत बड़ा हिस्सा चीन पर केंद्रित है। अमेरिका ने साफ तौर पर यह कहा है कि वैश्विक प्रतिस्पर्धा में चीन को पछाड़ना उसकी प्राथमिकता है। वर्ष 2020 में सत्ता में आए राष्ट्रपति जो बाइडन की सरकार की तरफ से जारी यह पहला रणनीतिक प्रपत्र है। इसमें भारत के साथ रक्षा सहयोग को और प्रगाढ़ करने की बात कही गई है।


भारत अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान के साथ मिलकर कई बार सैन्य अभ्यास भी कर चुका है और हिंद महासागर क्षेत्र में वास्तव में अमेरिका भारत का सबसे बड़ा रक्षा साझीदार है। अमेरिका ने भारत के साथ मिल कर हाल के वर्षों में दो अंतरराष्ट्रीय संगठनों की स्थापना की है। क्वाड (अमेरिका, भारत, जापान व आस्ट्रेलिया) और आइ2-यू2 (भारत, इजरायल, यूएई व अमेरिका) को बहुत ही महत्वपूर्ण बताते हुए अमेरिका ने कहा है कि इन संगठनों का एक उद्देश्य यह भी है कि लोकतांत्रिक देश अपने नागरिकों के लिए और दुनिया की बेहतर सेवा कर सकते हैं। इन संगठनों को एक समान सोच वाले लोकतांत्रिक देशों का मंच बताया है और कहा है कि इनके बीच सहयोग और प्रगाढ़ किया जाएगा। भारत को एशिया की क्षेत्रीय चुनौतियों से निबटने में भी महत्वपूर्ण बताया गया है।

इसके साथ ही अमेरिका ने यह भी अप्रत्यक्ष तौर पर बताया है कि भारत जैसे लोकतांत्रिक देशों का यह सहयोग चीन के बढ़ते प्रभुत्व को खत्म करने वाला साबित होगा। इनके साथ मिल कर चीन की प्रतिस्पर्धा और रूस की तरफ से पैदा किए गए विकट खतरे की काट खोजी जाएगी। इसके लिए यह सदी बहुत ही महत्वपूर्ण होगी और अब तेजी से इस बारे में कदम नहीं उठाया जाएगा तो साझा चुनौतियों से लड़ने के अवसर खत्म हो जाएंगे। अमेरिका ने चीन को एकमात्र ऐसी चुनौती के तौर पर गिनाया है जो अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में बदलाव कर सकता है। बीजिंग के पास यह क्षमता है कि वह हिंद प्रशांत क्षेत्र में और इससे बाहर अपना प्रभाव डाल सकता है, ताकि वह वैश्विक शक्ति के तौर पर स्थापित हो सके। गौरतलब है कि निकट भविष्य में अमेरिका भारत का सहयोग प्राप्त करके चीन की बढ़ती वैश्विक ताकत को कमजोर करने का प्रयास कर रहा है।

Exit mobile version