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Maharashtra Politics: NCP में अधिकार की लड़ाई तेज, शरद पवार ने दिखाया सुनील तटकरे को बाहर का रास्ता, लेकिन अजित गुट ने सौंपी ये जिम्मेदारी

नई दिल्ली। अजित पवार की बगावत के बाद अब एनसीपी में कुछ वैसी ही स्थिति देखने को मिल रही है, जैसा कि आज से एक साल पहले शिवसेना में देखने को मिली थी, जब एकनाथ शिंदे ने तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ मोर्चा खोलकर बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना ली थी। इसके बाद शिवसेना में अधिकार स्थापित करने को लेकर लड़ाई शुरू हो गई। जहां एक तरफ शिंदे के पाले में गए विधायक खुद को असली शिवसैनिक बता रहे थे, तो वहीं दूसरी तरफ उद्धव गुट खुद को असली शिवसैनिक बता रहे थे। बहरहाल, अब मामला कोर्ट में विचाराधीन है, तो आगामी दिनों में इसे लेकर क्या कुछ फैसला लिया जाता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी, लेकिन उससे पहले आपको बता दें कि एनसीपी में प्रभुत्व की लड़ाई तेज हो चुकी है। यह लड़ाई शरद पवार और अजित पवार के बीच है। जहां एक तरफ शरद पवार ने बागी विधायक प्रफुल्ल पटेल और सुनील तटकरे को पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलिप्त होने की वजह से बाहर का रास्ता दिखा दिया है, तो वहीं दूसरी तरफ अजित पवार खेमे ने जयंत पाटिल को प्रदेश अध्यक्ष के पद से अपदस्थ कर सुनील तटकरे को यह जिम्मेदारी सौंपी है।

अब सुनील तटकरे ही पार्टी में नियुक्ति संबंधित सभी नीतिगत फैसले लेंगे। बता दें कि आज प्रेस कांफ्रेस में प्रफुल्ल पटेल ने खुद इस बारे में ऐलान किया है, जिसमें उन्होंने सुनील तटकरे को प्रदेश अध्य़क्ष की कमान सौंपे जाने की बात कही है। इस पर सुनील तटकरे ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि मैं इस पद का निष्ठापूर्वक निर्वहन करूंगा और पार्टी के लिए तत्पर हितकारी कदम उठाता रहूंगा। इसके अलावा अनिल भाईदास को महाराष्ट्र विधानसभा में मुख्य सचेतक की जिम्मेदारी सौंपी है। वहीं, प्रफुल्ल पटेल से विधायकों की अयोग्यता को लेकर सवाल किया गया था, जिस पर उन्होंने कहा था कि विधायकों की अयोग्यता से संबंधित फैसले लेने का अधिकार पार्टी को नहीं है। यह अधिकार विधानसभा के डिप्टी स्पीकर के पास होता है। अब ऐसे में डिप्टी स्पीकर का फैसला आगामी दिनों में क्या होता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।

वहीं, प्रफुल्ल पटेल ने साफ कर दिया है कि एनसीपी के अधिकांश विधायक हमारे साथ हैं। बता दें कि इससे पहले अजित पवार ने बीते रविवार को प्रेसवार्ता में दावा किया था कि उन्हें 40 विधायकों का समर्थन प्राप्त है। उनके इस दावे ने शरद पवार की टेंशन बढ़ा दी थी। हालांकि, उन्होंने मीडिया के सामने फुल कॉन्फिडेंस से लबरेज होकर कहा था कि मैने अपने राजनीतिक करियर में कई मर्तबा ऐसी परिस्थितियों का सामना किया है और मुझे पूरा विश्वास है कि मैं पार्टी को दोबारा स्थापित कर लूंगा। उधर, अजित पवार ने मीडिया के सामने यह भी दावा किया है कि उन्हें शरद पवार का आशीर्वाद प्राप्त है।

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