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PM Modi Meets Adheenams: नई संसद भवन के उद्घाटन से पहले तमिलनाडु के अधीनम से मिले पीएम मोदी, प्रधानमंत्री को सौंपा सेंगोल

pm modi with sengol

नई दिल्ली। नई संसद भवन के उद्घाटन से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तमिलनाडु के अधीनम से मिले। इस खास मौके पर प्रधानमंत्री  को अधीनम संतों ने सेंगोल सौंपा। 21 अधीनम संतों का दल पीएम आवास पहुंचा। जहां पूरी विधि-विधान के साथ प्रधानममंत्री को सेंगोल भेंट किया गया। सोंगेल के अलावा प्रधानमंत्री को अन्य उपहार भी भेंट किए गए। बता दें कि कल नई संसद भवन के उद्घाटन के बाद लोकसभा स्पीकर की कुर्सी के बगल में रखा जाएगा, लेकिन उससे पहले वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजा-अर्चना की जाएगी। इसके बाद सेंगोल को लोकसभा स्पीकर की कुर्सी के बगल में रखा जाएगा। सेंगोल को चोल राजवंश में सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक माना जाता है। जिसे अब व्यवहारिक रूप में पीएम मोदी द्वारा लाया जा रहा है। वहीं इतिहासकारों के मुताबिक, भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित नेहरू को लॉर्ड माउंटबेटन ने भी देश की आजादी के बाद सेंगोल सौंपा था, जो कि इस बात का प्रतीक था कि अब देश अंग्रेजों के बंदिशों से आजाद हो चुका है।

सेंगोल क्या है

इतिहास के मुताबिक, सेंगोल का उपयोग एक राजा दूसरे राज को सत्ता हस्तांतरण के रूप में किया करते थे। मान लीजिए जब कोई राजा किसी राज्य में अपना शासन समाप्त कर किसी दूसरे को अपना राज काज सौंपता था, तो एक प्रतीक के रूप में उसे सेंगोल भी सौंपता था, जो कि इस बात का प्रतीक माना जाता था कि अब सत्ता उसके हाथ से जा चुकी है। यह परंपरा मूल रूप से दक्षिण के सूबों में ज्यादा प्रचलन में थी। इसके बाद इसे राष्ट्रीय स्तर पर पहली बार प्रथम प्रधानमंत्री पंडित नेहरू के द्वारा राजगोपालचारी के सुझाव पर आत्मसात किया गया था, लेकिन इसके बाद इस प्रथा को विलुप्त कर दिया गया। जिसे अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूनर्जीवित किया है।

सियासत भी जारी है

उधर, सेंगोल को लेकर सियासत भी जारी है। कांग्रेस ने सेंगोल की प्रसांगिकता पर सवाल उठाया है।  कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ट्ववीट कर बाकायदा सेंगोल को बोगस यानी की बेकार बता दिया , जिस पर थिरुववदुथुरै ने फेसबुक पर पोस्ट लिखकर कांग्रेस  के इस रुख पर नाराजगी जाहिर की और सवाल किया कि आखिर क्यों कांग्रेस ने क्यों सेंगोल को लेकर इस तरह का रुख अख्तियार किया हुआ है। ध्यान दीजिए कि थिरुववदुथुरै के नाराजगी के पीछे की वजह यह थी कि पंडित नेहरू के निर्देश राजागोपालचारी ने इसी मठ से यह सेंगोल बनवाया था।

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