नई दिल्ली। पंजाब के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता भगवंत मान पर नशे की अवस्था में गुरुद्वारे में जाने का आरोप लगा है। उन पर आरोप है कि वे विगत 14 अप्रैल बैसाखी वाले दिन बठिंडा के तलवंडी साबो दमदमा गरुद्वारे में दाखिल हुए थे। वहीं, शिरोमणि अकाली दल के नेता सुखबीर बादल ने भगवंत की मेडिकल जांच कर उनसे माफी मांगने की मांग की है। उधर, पंजाब की आम आदमी पार्टी की इकाई ने अपने नेता पर लगे आरोपों को निराधार करार दिया है। पार्टी ने कहा कि मख्यमंत्री की छवि को धूमिल करने के ध्येय से उन पर यह आरोप लगाए गए हैं। हालांकि, इस पूरे मामले को संज्ञान में लेने के बाद पहले तो गुरुद्वारा सिख प्रबधंक समिति ने आप नेता भगवंत मान से माफी की मांग की थी, लेकिन अब समिति का मान को लेकर नरम रुख सामने आ रहा है। समिति ने स्पष्ट कर दिया है कि उन्हें माफी मांगने की जरूरत नहीं है। उधर, मान ने खुद अपने ऊपर लगे इन आरोपों को निर्मूल बताया है। उन्होंने भी अपनी पार्टी के अन्यत्र नेताओं के सुर में सुर मिलाते हुए कहा कि उनके छवि को धूमिल करने हेतु इस तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं।
उधर, अपने नेता के बचाव में उतरे आप प्रवक्ता मलविंदर सिंह ने कहा कि सुखबीर बादल द्वारा मुख्यमंत्री की छवि खराब करने के ध्येय से लगाए गए आरोप दुर्भाग्यपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि बतौर विपक्षी उन्हें किसी की छवि को धूमिल करने की जगह सकारात्मक राजनीति पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, जो कि प्रदेश के लिए भी हितककर रहेगा। हालांकि, गुरुद्वारा सिख प्रबंधक समिति के वरिष्ठ उपाध्यक्ष रघुजीत ने मुख्यमंत्री पर आरोप लगाते हुए कहा कि जब भगवंत मान पत्रकारों से वार्ता कर रहे थे, तब यह साफ जाहिर हो रहा था कि वे नशे में हैं।
बहरहाल, इस पूरे मसले को लेकर लोगों की अपनी–अपनी राय है। जहां एक तरफ विपक्षी दलों का कहना है कि मान नशे में थे, तो वहीं सत्तारूढ़ दल के नेता का कहना है कि यह आरोप उनकी छवि को धूमिल करने के मकसद से लगाया गया है। हालांकि, मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आसीन होने से पहले भी उन पर शराब पीकर सार्वजनिक जगहों पर उत्पात मचाने के आरोप लगते रहे हैं, जिसे ध्यान में रखते हुए जब आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने उन्हें पंजाब से चुनाव से पूर्व मुख्यमंत्री के उम्मीदवार के रूप में घोषित किया था, तो उन्हें सवालिया कठघरे में खड़ा होना पड़ा था।