नई दिल्ली। महाराष्ट्र विधानसभा के अफसर द्वारा अर्नब गोस्वामी को अदालत में नोटिस दाखिल पर धमकी वाले पत्र पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अवमानना नोटिस जारी किया। सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए कहा कि अधिकारी ने स्पीकर और विशेषाधिकार समिति द्वारा भेजे गए नोटिस की प्रकृति गोपनीय होने के कारण अदालत में देने पर पत्र कैसे लिखा? शीर्ष न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश ने कहा, “कोई इस तरह से कैसे डरा सकता है? इस तरह से धमकियां देकर किसी को अदालत में आने से कैसे रोका जा सकता है? हम इस तरह के किसी भी आचरण की सराहना नहीं करते हैं।” कोर्ट ने कहा कि हम चाहते हैं कि इस पर हम एमिकस क्यूरी की सहायता लें। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा सचिव को दो सप्ताह में कारण बताने के लिए नोटिस जारी किया है। इस नोटिस में देश की सर्वोच्च अदालत ने कहा कि विधानसभा नोटिस दिखाने के लिए अर्नब गोस्वामी को दी गई धमकी के लिए उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही क्यों नहीं शुरू की जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विशेषाधिकार मामले में अर्णब की गिरफ्तारी न हो।
अर्नब पर की गई कार्रवाई को संज्ञान में लेते हुए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) ने फटकार लगाते हुए कहा कि देश में कोई प्राधिकरण इस अदालत के पास आने के लिए किसी को दंडित नहीं कर सकता है। इस अधिकारी ने अपने पत्र में ऐसा कुछ लिखने की हिम्मत कैसे की?
सुप्रीम कोर्ट ने अपनी फटकार में कहा कि सचिव का पत्र लिखना अभूतपूर्व और न्याय प्रशासन को तिरस्कार में लाने व उसके हस्तक्षेप के बराबर है। इसको लेकर अब कोर्ट ने 2 हफ्ते में जवाब मांगा है, इसके अलावा अदालत ने व्यक्तिगत तौर पर कोर्ट में उपस्थित रहने के आदेश दिए है। इस बीच, अर्णब इस मामले में गिरफ्तार नहीं किये जायेंगे। कोर्ट ने इस मामले में सीनियर एडवोकेट अरविंद दत्तार को इस मामले में एमिकस क्युरी नियुक्त किया।