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Maharashtra: महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे को फिर जोर का झटका, पंचायत चुनाव में शिंदे-बीजेपी ने किया सूपड़ा साफ!

eknath shinde uddhav thakrey devendra fadnavis

मुंबई। महाराष्ट्र में एक बार फिर उद्धव ठाकरे को तगड़ा झटका लगा है। मामला पंचायत चुनाव का है। महाराष्ट्र बीजेपी के अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने दावा किया है कि पंचायत चुनाव में उनकी पार्टी के समर्थित 274 और शिवसेना के एकनाथ शिंदे गुट समर्थित 41 प्रत्याशी सरपंच के पद पर चुनाव जीत गए हैं। यानी शिंदे-बीजेपी गुट समर्थित कुल 315 प्रत्याशी चुनाव जीते हैं। महाराष्ट्र के 16 जिलों में 547 ग्राम पंचायतों के लिए बीते रविवार को चुनाव हुआ था। इन चुनावों में औसतन 76 फीसदी वोटिंग हुई थी। इन चुनावों में प्रत्याशियों का पार्टियां समर्थन करती हैं, लेकिन चुनाव चिन्ह नहीं देती हैं। सोमवार को वोटों की गिनती हुई थी। ग्राम पंचायतों के अलावा सरपंचों के चुनाव भी वोटरों ने किए थे। इन चुनावों में एनसीपी समर्थित 62, कांग्रेस समर्थित 37 और उद्धव ठाकरे गुट समर्थित महज 12 प्रत्याशियों की जीत की खबर है।

महाराष्ट्र बीजेपी अध्यक्ष बावनकुले ने मीडिया को बताया कि बीजेपी के पक्ष में किस तरह गांवों में भी हवा चल रही है। इसका अंदाजा इससे हो जाता है कि पार्टी समर्थित 270 से ज्यादा सरपंच चुने गए हैं। जबकि, सीएम शिंदे गुट समर्थित प्रत्याशियों की जीत की भी बड़ी तादाद है। उन्होंने कहा कि जितने भी सरपंच चुनाव जीते हैं, उनमें से 50 फीसदी से ज्यादा संख्या बीजेपी-शिंदे गुट के समर्थित प्रत्याशियों की है। बावनकुले ने कहा कि ग्राम पंचायतों के ये नतीजे साबित कर रहे हैं कि महाराष्ट्र के लोग शिंदे-फडणवीस सरकार पर भरोसा करते हैं। बता दें कि एकनाथ शिंदे ने 39 और विधायकों के साथ इस साल जून में उद्धव ठाकरे से नाता तोड़ लिया था। उन्होंने उद्धव पर बेइज्जत करने और कांग्रेस-एनसीपी के साथ एकतरफा गठबंधन करने का आरोप लगाया था। इस गुट को बीजेपी ने समर्थन दिया था।

शिंदे गुट ने चुनाव आयोग में भी खुद के असली शिवसेना होने का दावा किया है। एकनाथ शिंदे ने शिवसेना का चुनाव चिन्ह तीर-कमान खुद को देने की मांग चुनाव आयोग से की है। वहीं, उद्धव ठाकरे लगातार कह रहे हैं कि असली शिवसेना वही हैं। दोनों गुटों के बीच सुप्रीम कोर्ट में भी जंग जारी है। उद्धव ठाकरे गुट ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी है कि एकनाथ शिंदे गुट के सभी विधायकों की सदस्यता रद्द की जाए। वहीं, शिंदे गुट का कहना है कि वे दलबदल कानून के प्रावधानों के तहत ही अलग हुए और उनकी सदस्यता रद्द नहीं की जा सकती।

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