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Protest: शिक्षक भर्ती घोटाले पर ममता सरकार के खिलाफ अभ्यर्थियों का अजीबोगरीब प्रदर्शन, हिमाचल की पहाड़ियों से लहराये पोस्टर

BENGAL

नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल में प्राथमिक विद्यालयों में सहायक शिक्षक भर्ती घोटाले को लेकर ममता बनर्जी सरकार ने जैसे अपनी आंखें मूंद रखी हैं। अभ्यर्थियों के जोरदार प्रदर्शन के बावजूद भी आयोग की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। लेकिन इस घोटाले के विरोध में सिर्फ बंगाल ही नहीं बल्कि राज्य के बाहर भी प्रदर्शन देखने को मिल रहे हैं। ऐसा ही एक अनोखा प्रदर्शन बर्फ की चादर से ढके हिमाचल प्रदेश की वादियों से सामने आया है। लेकिन प्रदर्शन करने के इस हैरतअंगेज अंदाज को देखकर हर कोई हैरान है।

दरअसल, हिमाचल प्रदेश के बुरान घाटी कैंप से कुछ अभ्यर्थियों ने हाथ में खुद से लिखे गए पोस्टर लेकर ममता बनर्जी की सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया है। ये अभ्यर्थी पिछले 9 साल से शिक्षक भर्ती को लेकर ममता सरकार के आगे अपनी मांगे रख रहे हैं, इसके लिए कई बार कोलकाता समेत राज्य के कई जिलों में इन अभ्यर्थियों ने प्रदर्शन भी किए हैं, जब पुलिस ने इन्हें प्रदर्शन करने से भी रोका तो फिर इन लोगों ने प्रदर्शन के इस नए तरीके को अपनाया। तस्वीरों में दिख रहा है कि कैसे हिमाचल की ऊंची चोटियों के ऊपर खड़े होकर ये युवा ममता सरकार को सहायक शिक्षक भर्ती घोटाले को लेकर कार्रवाई करने के लिए अपील कर रहे हैं। इस बार प्रदर्शन के लिए सड़कों, सरकारी इमारतों के सामने नहीं बल्कि युवाओं ने अनोखे अंदाज में 15,000 फीट की ऊचाई पर हिमाचल की ग्लेशियरों पर पश्चिम बंगाल सरकार के खिलाफ अपना रोष व्यक्त किया।

जानकारी के लिए आपको बता दें कि एक लंबे समय से हिमाचल में 12000 विद्यालयों के सहायक शिक्षकों की भर्ती उलझी हुई है, जो युवा सालों की मेहनत के बाद नौकरी का इंतजार करते हैं उनके लिए ये अच्छी खबर नहीं है, इन अभ्यर्थियों के प्रदर्शन के बावजूद भी ममता बनर्जी की सरकार ने कुछ ठोस कदम नहीं उठाए हैं। हैरान परेशान अभ्यर्थी सड़कों पर उतरने को मजबूर हुए तो कोर्ट ने भी ममता की सरकार को फटकार लगाई। अब कहीं जाकर पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री का इसको लेकर कोई बयान सामने आया है।

इस पूरे बवाल के बाद पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बासु ने घोषणा की है कि अप्रैल तक प्राथमिक विद्यालयों में 12,000 सहायक शिक्षकों की भर्ती की जाएगी। इस बारे में उन्होंने एक बैठक में सरकारी प्राथमिक विद्यालयों के अधिकारियों के साथ बातचीत भी करने की कोशिश की, लेकिन युवाओं को इन वादों पर बिलकुल भी भरोसा नहीं हैं। युवाओं का कहना है कि इस तरह के आश्वासन पहले भी दिए गए लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

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