नई दिल्ली। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव को आज सीबीआई ने पेश होने के लिए कहा था। अखिलेश यादव को सीबीआई ने फिलहाल बतौर गवाह तलब किया है और उनसे सवाल पूछना चाहती है। ये मामला 2012 और उसके बाद का है। उस वक्त अखिलेश यादव यूपी के सीएम थे। सीबीआई ने 2016 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर यूपी में अवैध खनन मामले की जांच शुरू की थी। कोर्ट इस जांच की मॉनिटरिंग कर रहा है। जिस वक्त यूपी में अवैध खनन का आरोप है, तब अखिलेश यादव की सरकार में खनन मंत्री का जिम्मा गायत्री प्रजापति के पास था। जबकि, 2012-2013 में खनन विभाग अखिलेश यादव के ही पास था। सीबीआई ने 11 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया। उसने कई अनाम नौकरशाहों को भी आरोपी बनाया।
जनवरी 2019 में सीबीआई ने दिल्ली के अलावा यूपी के लखनऊ, कानपुर, नोएडा, हमीरपुर और जालौन में छापे भी मारे थे। तब उसने दावा किया था कि अवैध खनन से जुड़े आपत्तिजनक दस्तावेज, नकदी और सोना मिला। इस मामले में सीबीआई ने पहले कहा था कि यूपी के सीएम रहते अखिलेश यादव ने 2012 और 2013 के बीच 14 खनन टेंडर को मंजूरी दी थी। जानकारी के मुताबिक जांच एजेंसी 2012 से 2016 के बीच अखिलेश सरकार की ओर से मंजूर कुल 22 खनन टेंडर की जांच कर रही है। इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने भी मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज कर रखा है। खनन संबंधी ये मामला यूपी के हमीरपुर का है।
सीबीआई ने 2019 में बताया था कि उसने हमीरपुर के तत्कालीन डीएम के खिलाफ केस दर्ज किया। इसके अलावा खनन अधिकारी, तब के खनन क्लर्क, पट्टा लेने वालों पर भी केस दर्ज किए गए थे। इस मामले में आरोप है कि नौकरशाहों समेत आरोपियों ने आपराधिक साजिश रचते हुए 2012 से 2016 के बीच हमीरपुर में लघु खनिजों के अवैध खनन की मंजूरी दी थी। सीबीआई का आरोप है कि अवैध तौर पर रेत खनन के नए पट्टे दिए गए। इसके अलावा पहले के पट्टों का भी नवीनीकरण हुआ। इससे खुद फायदा लेकर सरकारी खजाने को चपत लगाई गई। इसके अलावा खनिजों की चोरी और इनका परिवहन करने वाले वाहन चालकों से धन उगाही का भी आरोप है।