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Chandrayaan 3: भारत के चंद्रयान-3 को लेकर आया बड़ा अपडेट, जानिए इसरो के वैज्ञानिकों ने क्या अहम जानकारी दी

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बेंगलुरु। भारत का चंद्रयान-3 अब चांद के और करीब पहुंच गया है। इसरो के कंट्रोल सेंटर से आज सुबह 8.30 बजे चंद्रयान-3 के रॉकेट थ्रस्टर्स को चालू किया गया। इससे चंद्रयान अब 150X177 किलोमीटर की कक्षा से नीचे 153X163 किलोमीटर की कक्षा में आ गया है। अब कल का दिन भी अहम है। गुरुवार को इसरो के वैज्ञानिक चंद्रयान-3 से विक्रम लैंडर को अलग करेंगे। इसके बाद विक्रम लैंडर को 30X100 किलोमीटर की अंडाकार कक्षा में लाया जाएगा। इस अंडाकार कक्षा में विक्रम लैंडर और चंद्रयान-3 का बाकी हिस्सा आगे-पीछे चांद का अगले कुछ और दिन चक्कर लगाते रहेंगे।

चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर को इसरो ने 23 अगस्त की शाम 5.47 बजे चांद पर उतारने का फैसला किया है। जिस वक्त विक्रम लैंडर चांद से 100 किलोमीटर की दूरी पर होगा, उस वक्त उसके रॉकेट थ्रस्टर्स को चालू कर चांद पर उतारा जाएगा। चांद पर उतारने के दौरान विक्रम लैंडर की गति कम करने के लिए इन थ्रस्टर्स का इस्तेमाल इसरो के वैज्ञानिक करेंगे। इसरो के प्रमुख डॉ. एस. सोमनाथ ने पहले बताया था कि विक्रम लैंडर के चांद की सतह पर उतरने की गति करीब 2 मीटर प्रति सेकेंड होगी। हालांकि, विक्रम लैंडर के स्टैंड को इसरो के वैज्ञानिकों ने 3 मीटर प्रति सेकेंड की गति से उतरने के लिए डिजाइन किया है। चांद पर उतरने से पहले विक्रम लैंडर क्षैतिज हालत में उसके चक्कर काट रहा होगा। इसे उतारने के लिए सीधा भी करना पड़ेगा।

चंद्रयान-2 के चांद पर उतरने में विफल रहने के बाद इसरो के वैज्ञानिकों ने काफी जांच पड़ताल की थी। कारणों को समझकर इस बार विक्रम लैंडर से 5वें इंजन को इसरो के वैज्ञानिकों ने हटा दिया है। चांद पर विक्रम लैंडर सकुशल उतरा, तो इससे रोवर बाहर आएगा। ये रोवर 14 दिन तक चांद की सतह पर घूमकर अपने यंत्रों की मदद से वहां खनिज और पानी की खोज करेगा। इसके अलावा चांद पर पड़ने वाली सूरज की रोशनी के प्रभाव को भी रोवर में लगे यंत्र जांचेंगे।

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