नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ एक हिंदूवादी संगठन है। संगठन का दावा है कि वह हिंदुओं के हितों को संरक्षित करने की दिशा में प्रतिबद्ध है, लेकिन इस बात को भी खारिज करना गवारा नहीं होगा कि अन्य संप्रदायों के बीच इस संगठन को लेकर नकारात्मक छवि गढ़ी जा चुकी है, जिसे ध्वस्त करने की कोशिशें कई मर्तबा संघ प्रमुख मोहन भागवत की ओर से की जा चुकी हैं और अब उनकी इन्हीं कोशिशों की तासीर जमीन पर देखने को मिल रही है। यह इसी तासीर का नतीजा है कि अब अन्य संप्रदायों के रहनुमा भी दिल खोलकर संघ की तारीफ करने से गुरेज नहीं कर रहे हैं। इसी कड़ी में भारतीय राज्य केरल के एक वरिष्ठ ईसाई धर्मगुरु ने संघ की दिल खोलकर तारीफ की है।
उन्होंने कहा कि संघ में कई ऐसी प्रशंसनीय बातें निहित हैं। जिन पर हमें ध्यान देना चाहिए। मलंकरा ऑर्थोडॉक्स सीरियन चर्च के कुन्नमकुलम डायोसिस के मेट्रोपोलिटन बिशप गीवर्गीस मार यूलियोस ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की प्रशंसा की है। गत दिनों उन्होंने मीडिया से बातचीत के दौरान स्पष्ट किया कि चर्च में किसी भी राजनीतिक विचारधारा को लेकर को मतभेद नहीं है और बीजेपी के प्रति भी चर्च के लोगों में कोई वैमनस्यता नहीं है। मेट्रोपॉलिटन बिशप गीवर्गीस मार यूलियोस ने आगे अपने बयान में कहा कि आरएसएस में कई ऐसी अच्छी बातें हैं, जिन्हें अगर अभ्यास में लाया जाए, तो समस्त समाज का कल्याण हो सकता है। उन्होंने कहा कि कई बार हम विचारधारा की व्यख्या करने में एकतरफा नजरिया अपना लेते हैं, जो कि उचित नहीं है।
उन्होंने आगे कहा कि आरएसएस को भलीभांति समझने के लिए आपको पहले उसकी विचारधारा को समझना होगा। संघ के विचारों को हमें समग्रता के दृष्टिकोण से देखना होगा। उन्होंने आगे कहा कि हम केवल एक पंक्ति लेकर पवित्र पुस्तक की व्याख्या नहीं करते हैं। हम समग्र रूप से व्याख्या करते हैं। विदित हो कि केरल शुरू से ही आरएसएस कार्यकर्ताओं के लिए असुरक्षित स्थल रहा है, जहां पूर्व में कई आरएसएस कार्यकर्ताओं को अपनी जान गंवानी पड़ी है। विदित हो कि 2020 में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने एक प्रोफेसर ए.के.एम द्वारा लिखित पुस्तक ‘आरएसएस: संघर्ष की एक गाथा’ का विमोचन किया था। इस पुस्तक में केरल के आरएसएस कार्यकर्ताओं के संघर्ष की गाथा का वर्णन किया गया है।