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Supreme Court On OBC Appointment: सुप्रीम कोर्ट से ओबीसी समुदाय के लिए आई अच्छी खबर, सीजेआई बीआर गवई ने किया ये बड़ा फैसला

Supreme Court On OBC Appointment: सीजेआई बीआर गवई के कार्यकाल में सुप्रीम कोर्ट ने सामाजिक न्याय देने के लिए अहम पहल किया है। इस फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट की नौकरी हासिल करने की तैयारी करने वाले ओबीसी समुदाय के अभ्यर्थियों को दिक्कत का सामना नहीं करना होगा।

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट से ओबीसी समुदाय के लिए अच्छी खबर है। सुप्रीम कोर्ट के सीजेआई बीआर गवई ने अपने गैर न्यायिक कर्मचारियों की नियुक्ति में ओबीसी समुदाय को भी आरक्षण का लाभ देने का फैसला किया है। इस बारे में अधिसूचना भी जारी कर दी गई है। अब सुप्रीम कोर्ट में एससी, एसटी, पूर्व सैनिकों, स्वतंत्रता सेनानियों के आश्रितों और दिव्यागों के साथ ओबीसी समुदाय के अभ्यर्थियों को भी गैर न्यायिक पदों पर आरक्षण मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट ऑफिसर्स एंड सर्वेंट्स (कंडीशन ऑफ सर्विस एंड कंडक्ट) रूल 1961 के नियम 4-ए में बदलाव कर ओबीसी समुदाय को भी अदालत की नौकरियों में आरक्षण का फायदा दिया गया है।

ओबीसी समुदाय को सुप्रीम कोर्ट की नौकरी में आरक्षण देने संबंधी जारी अधिसूचना में साफ लिखा गया है कि इन सभी श्रेणियों को उन पदों के लिए निर्धारित वेतनमान के तहत केंद्र सरकार की ओर से जारी आदेशों और अधिसूचनाओं के मुताबिक आरक्षण दिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले 1992 में इंदिरा साहनी बनाम केंद्र सरकार मामले में ओबीसी समुदाय को 27 फीसदी आरक्षण देने का आदेश दिया था। इसके बाद भी सुप्रीम कोर्ट के पदों की भर्ती में ओबीसी समुदाय को आरक्षण नहीं मिल रहा था। अब सुप्रीम कोर्ट की नौकरियों में ओबीसी समुदाय को आरक्षण का फैसला होने से इस कोटे के तहत तमाम लोगों को भविष्य में नौकरी मिल सकेगी।

सीजेआई बीआर गवई ने इसके साथ ही एससी और एसटी के लिए स्पष्ट रोस्टर प्रणाली लागू करने का भी फैसला किया है। आरके सभरवाल बनाम हरियाणा राज्य मामले में 1995 में सुप्रीम कोर्ट की ओर से सुझाए गए 200 प्वॉइंट रोस्टर सिस्टम के तहत ये प्रणाली लागू होगी। इस रोस्टर प्रणाली से सामान्य और आरक्षण पाने वाले वर्गों के बीच संतुलन बना रहेगा। इस तरह सीजेआई बीआर गवई के कार्यकाल में सुप्रीम कोर्ट ने सामाजिक न्याय देने के लिए अहम पहल किया है। इससे पहले सीजेआई बीआर गवई ने सुप्रीम कोर्ट गैलरी में लगे शीशे को हटाने का भी फैसला किया था। ताकि सुप्रीम कोर्ट का पुराना स्वरूप वापस लाया जा सके।

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