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West Bengal: ‘TMC का आधा शरीर भ्रष्टाचार से सड़ गया है’, ममता के करीबी सांसद ने खोली पार्टी की पोल

जवाहर सरकार ने ये भी दावा किया कि पार्थ चटर्जी और अनुब्रत मंडल की गिरफ्तारी के बाद उनके परिवार के लोग और दोस्त राजनीति छोड़ने की सलाह भी दे रहे हैं। जवाहर सरकार ने कहा कि अगर भ्रष्टाचारियों को अभी पार्टी से अलग न किया गया, तो एक साइड के सड़े हुए शरीर जैसे दल को लेकर जंग लड़ना मुश्किल होगा।

jawhar sircar and mamata banerjee

कोलकाता। तृणमूल कांग्रेस के भीतर से ही अब पार्टी में भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठने लगी है। पार्थ चटर्जी और गाय तस्करी के आरोपी अनुब्रत मंडल की गिरफ्तारी के बाद से ही इस तरह की आवाजें पार्टी में उठी थीं। ममता बनर्जी ने कल यानी सोमवार को हालांकि पार्थ का नाम लेकर केंद्र की बीजेपी सरकार पर निशाना साधा था और चुनौती दी थी कि बीजेपी में हिम्मत हो तो उनको गिरफ्तार करके दिखाए, लेकिन शाम होते-होते ममता के ही खास और टीएमसी के राज्यसभा सांसद जवाहर सरकार ने उलट बात कह दी। जवाहर सरकार ने जो कहा, उससे ममता बनर्जी को शायद सोचने पर मजबूर भी होना पड़े।

सोमवार को मीडिया से बातचीत में जवाहर सरकार ने कहा कि टीएमसी के आधे जिस्म में सड़न आ गई है। उन्होंने कहा कि ऐसी हालत में पार्टी 2024 के लोकसभा चुनाव का जंग जीत लड़ ही नहीं सकती। जवाहर सरकार ने ये भी दावा किया कि पार्थ चटर्जी और अनुब्रत मंडल की गिरफ्तारी के बाद उनके परिवार के लोग और दोस्त राजनीति छोड़ने की सलाह भी दे रहे हैं। जवाहर सरकार ने कहा कि अगर भ्रष्टाचारियों को अभी पार्टी से अलग न किया गया, तो एक साइड के सड़े हुए शरीर जैसे दल को लेकर जंग लड़ना मुश्किल होगा। जवाहर ने कहा कि बीते दिनों उनके परिजनों ने कहा कि आप राजनीति छोड़ दीजिए। दोस्तों ने तंज कसते हुए कहा कि अब भी पार्टी में हो, कितना मिला? उन्होंने कहा कि ऐसे तंज जिंदगी में पहली बार सुना और जवाब नहीं दे सके।

जवाहर सरकार के इस बयान पर बांग्ला अखबार ‘आनंदबाजार पत्रिका’ ने जब तृणमूल के प्रवक्ता कुणाल घोष से पूछा, तो उन्होंने कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। कुणाल ने कहा कि इस बारे में मुझे कुछ नहीं कहना है। हाल के दिनों में जो भी घटनाक्रम हुआ, उस बारे में टीएमसी नेतृत्व ने कदम उठाए हैं। बता दें कि कुणाल घोष ने ही टीएमसी से पार्थ चटर्जी को निकालने की मांग रखी थी। जिसके बाद टीएमसी नेतृत्व ने उनपर काफी समय तक बयान न देने की रोक भी लगाई थी।

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