News Room Post

Karnataka Congress: कर्नाटक कांग्रेस में सिरफुटौव्वल!, सीएम सिद्धारामैया पर टिप्पणी करने में सीनियर नेता बीके हरिप्रसाद को आलाकमान से कारण बताओ नोटिस

bk hariprasad and siddaramaiah

बेंगलुरु। कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार बड़े बहुमत से बन तो गई, लेकिन इस सरकार के गठन से लेकर अब तक कांग्रेस में सिरफुटौव्वल जैसे हालात दिख रहे हैं! पहले सीएम पद को लेकर सिद्धारामैया और डीके शिवकुमार का पेच फंसा और अब मामला कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और एआईसीसी मेंबर बीके हरिप्रसाद पर आकर अटका है। कर्नाटक कांग्रेस में आपसी टकराव किस कदर है, ये इसी से पता चलता है कि पार्टी आलाकमान ने बीके हरिप्रसाद को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। कांग्रेस की अनुशासन वाली कमेटी ने हरिप्रसाद से कहा है कि वो 10 दिन में इस नोटिस का जवाब दें। कमेटी के सदस्य तारिक अनवर के मुताबिक कांग्रेस अध्यक्ष को शिकायत मिली थी कि बीके हरिप्रसाद ने अनुशासन तोड़ा है।

कांग्रेस आलाकमान को क्या मिली शिकायत?

तारिक अनवर के मुताबिक कांग्रेस अध्यक्ष से शिकायत की गई है कि कर्नाटक में विधान परिषद सदस्य और एआईसीसी में विशेष आमंत्रित बीके हरिप्रसाद ने सीएम सिद्धारामैया की सार्वजनिक तौर पर आलोचना की। इसके अलावा बीके हरिप्रसाद पर आरोप है कि उन्होंने बीजेपी और वाईएसआर कांग्रेस के साथ 9 सितंबर को मंच साझा किया। बीजेपी और वाईएसआर कांग्रेस का ये कार्यक्रम बेंगलुरु में हुआ था। दोनों ने पिछड़ा वर्ग सम्मेलन किया था। बताया जा रहा है कि बीके हरिप्रसाद की तरफ से अनुशासन तोड़ने का मामला कांग्रेस की कमेटी को भेजा गया और फिर कर्नाटक कांग्रेस के इस बड़े नेता से विस्तार में जवाब मांगा गया है।

बीके हरिप्रसाद पर क्या बयान देने का आरोप?

बीके हरिप्रसाद पर आरोप है कि उन्होंने 9 सितंबर को सीएम सिद्धारामैया का नाम लिए बगैर निशाना साधा था। उन्होंने कहा था कि धोती के साथ हब्लोट घड़ी पहनने वाले कुछ लोग समाजवादी होने का दावा नहीं कर सकते और सामाजिक सुधारों के लिए प्रसिद्ध पूर्व सीएम देवराज उर्स की तरह कार में बैठकर उनकी तरह नहीं बन सकते। बता दें कि सिद्धारामैया हब्लोट घड़ी मामले में साल 2016 में सीएम रहते घिरे थे। उस घड़ी की कीमत 70 लाख थी। सियासत गरमाने के बाद सिद्धारामैया ने तब हब्लोट घड़ी विधानसभा अध्यक्ष को दे दी थी। माना जा रहा है कि बीके हरिप्रसाद खुद को मंत्री न बनाए जाने से नाराज हैं। पहले भी वो सिद्धारामैया को घेर चुके हैं। खास बात ये है कि हरिप्रसाद और सिद्धारामैया दोनों ही पिछड़ा वर्ग के हैं।

Exit mobile version