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Coronavirus vaccine पर प्रधानमंत्री मोदी से सवाल पूछकर पछताए राहुल गांधी

Corona vaccine Rahul Gandhi

नई दिल्ली। एक तरफ जहां वैश्विक महामारी कोरोनावायरस (Coronavirus) के खिलाफ जंग में भारत सरकार हर मुमकिन कोशिश में जुटी हुई है कि कैसे इस वायरस को मात दी जाए। इतना ही नहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) खुद कोरोना की वैक्सीन बनाने में जुटे वैज्ञानिकों से बात भी कर रहे है। तो दूसरी ओर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) लगातार कोरोना को लेकर राजनीति करने में जुटे हुए है। इस कड़ी गुरुवार को कोरोना की वैक्सीन को लेकर राहुल गांधी ने एक बार फिर पीएम मोदी और भाजपा को घेरने की कोशिश की।

गुरुवार को एक ट्वीट में राहुल गांधी ने लिखा, पीएम कहते हैं सभी को वैक्सीन मिलेगा। बिहार चुनाव में बीजेपी कहती है सभी को फ्री वैक्सीन मिलेगा। अब, सरकार कहती है कि कभी नहीं कहा कि सभी को वैक्सीन मिलेगा। वास्तव में प्रधानमंत्री का इस मुद्दे पर क्या स्टैंड हैं?

बता दें कि ये पहला मौका नहीं है जब राहुल गांधी ने कोरोना वैक्सीन को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा हो। इससे पहले उन्होंने कोरोना वैक्सीन को लेकर प्रधानमंत्री मोदी से ट्वीट कर चार सवाल किए थे। वहीं कोरोना वैक्सीन पर राहुल गांधी को राजनीति करना मंहगा पड़ गया। लोगों ने ट्विटर पर उनकी जमकर फजीहत कर डाली।

क्या भारत में सभी लोगों को पड़ेगी कोरोना वैक्सीन की जरूरत, सुनिए सरकार की तरफ से क्या कहा गया

कोरोनावायरस से निजात पाने के लिए देश में बनाई जा रही वैक्सीन को लेकर ट्रायल प्रगति पर हैं। ऐसे में मंगलवार को केंद्र सरकार ने कहा कि अगर खतरे वाले लोगों को टीका लगाकर कोरोनावायरस का ट्रांसमिशन रोकने में सफलता मिलती है ऐसा भी हो सकता है कि शायद देश की पूरी आबादी को कोरोना वैक्सीन लगाने की जरूरत ही नहीं पड़े। बता दें कि मंगलवार को केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने मीडिया को जानकारी देते हुए कहा कि सरकार की तरफ से ये कभी नहीं कहा गया कि पूरे देश को वैक्सीन लगानी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि ऐसे वैज्ञानिक चीजों के बारे में तथ्यों के आधार पर बात की जाए। वहीं ICMR के डीजी डॉक्टर बलराम भार्गव ने कहा कि वैक्सीन के प्रभाव पर ही देश में टीकाकरण का कार्य निर्भर होगा। उन्होंने कहा कि, हो सकता है कि पूरी आबादी को इसे लगाने की जरूरत ही न पड़े।

देश में कोरोना वायरस की वैक्सीन के निर्माण के साथ ही सवाल हो रहा है कि आखिर ये वैक्सीन किसे लगाई जाएगी? इसको लेकर आईसीएमआर के डीजी डॉक्टर बलराम भार्गव ने कहा कि वैक्सीन कितनी प्रभावकारी वैक्सीनेशन इसी बात पर निर्भर होगा। उन्होंने कहा, ‘हमारा मकसद कोरोना ट्रांसमिशन चेन को तोड़ना है। जिससे ये आगे ना फैले। ऐसे में हम अगर खतरे वाले लोगों को टीका लगाकर कोरोना ट्रांसमिशन रोकने में सफल रहे तो ऐसा भी हो सकता है कि शायद पूरी आबादी को हमें वैक्सीन लगाने की जरूरत नहीं पड़े।’

बीते कुछ दिनों में वैक्सीन के ट्रायल के दौरान कुछ लोगों में साइड इफेक्ट भी सामने आए हैं। ऐसे में वैक्सीन के बुरे प्रभाव पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि, ‘दवाई या वैक्सीन का बुरा प्रभाव पड़ता है, ऐसा होता है, लेकिन यह रेग्युलेटर की जिम्मेदारी है कि इसको लेकर डेटा जुटाए और पता लगाए कि क्या इवेंट और इंटरवेंशन के बीच कोई लिंक है।’

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने वैक्सीन के ट्रायल के बाद एक शख्स के बीमार होने और मुआवजा मांगने की खबरों पर स्वास्थ्य सचिव ने कहा, ‘जब क्लीनिकल ट्रायल शुरू होते हैं तो लोगों से सहमति से जुड़ा फॉर्म साइन करवाया जाता है। यही प्रक्रिया दुनियाभर में है। अगर कोई ट्रायल में शामिल होने का फैसला लेता है तो इस फॉर्म में ट्रायल के संभावित उल्टे प्रभाव के बारे में बताया जाता है।’

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