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Coronavirus: खुशखबरी! भारत में सितंबर में आ चुका कोरोना का पीक, फरवरी तक मिल सकती है मुक्ति

Coronavirus Children

नई दिल्ली। कोरोनावायरस के देशभर में 75 लाख से अधिक मामले सामने आ चुके हैं वहीं इससे मरने वालों की संख्या एक लाख के ऊपर जा चुकी है। फिलहाल सरकार का कहना है कि देश में कोरोना का पीक अब जा चुका है और अगले साल फरवरी में कोरोना से मुक्ति भी मिल सकती है। फिलहाल इस दावे के साथ सरकार का ये भी कहना है कि, जबत दवाई नहीं, तबतक ढिलाई नहीं। और फरवरी के इंतजार तक हमें सतर्क रहना होगा। हैदराबाद IIT के प्रोफेसर एम. विद्यासागर ने कहा है कि अगर लॉकडाउन ना होता तो भारत में जून तक 1.40 करोड़ से ज्यादा कोरोना संक्रमण के मामले हो गए होते। उन्होंने कहा कि, ‘भारत में कोविड-19 (Covid-19) महामारी की प्रगति: लॉकडाउन के प्रभाव और पूर्वानुमान’ पर हुई एक स्टडी (Coronavirus research) के बाद ऐसा दावा किया है। आपको बता दें कि विद्यासागर की अध्यक्षता में सरकार द्वारा नियुक्त समिति ने कहा कि सरकार ने अगर लॉकडाउन के लिए मई तक इंतजार किया होता तो जून तक भारत में तकरीबन 50 लाख तक एक्टिव केस बढ़ चुके होते।

कोरोना को नियंत्रित रखने के लिए ये जरूरी है कोरोना के प्रोटोकाल को फॉलो किया जाय। एक स्टडी के मुताबिक, कोरोना की आंधी को तभी नियंत्रित किया जा सकता है जब हम मास्क, डिसइंफेक्टिंग, टेस्टिंग और क्वारनटीन के अभ्यास को लगातार जारी रखें। इस स्टडी ये भी कहा गया है कि अगर सभी प्रोटोकॉल्स को अच्छी तरह से लागू किया जाए तो अगले साल फरवरी के अंत तक इसे काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है। ज्यादा से ज्यादा कुछ हल्के लक्षणों वाले मरीज ही रह जाएंगे।

कोरोना के बढ़ते मामलों को लेकर एक्सपर्ट का दावा है कि सुरक्षात्मक मामलों में छूट भारत पर हर महीने 26 लाख मामलों का बोझ डाल सकती है। समिति ने ये भी कहा कि बिहार और उत्तर प्रदेश में मजदूरों के माइग्रेशन का इंफेक्शन की कुल संख्या पर असर काफी कम हुआ है। यह माइग्रेट होने वाले लोगों द्वारा अपनाई गई  क्वारनटीन स्ट्रैटेजी की सफलता को इंगित करता है।

लॉकडाउन की तरफ से फिर जाने को लेकर समिति का कहना है कि जब तक कि स्वास्थ्य सुविधाओं पर कोई भारी संकट ना हो, तबतक कोरोना वायरस के इंफेक्शन को रोकने के लिए जिला या राज्य स्तर पर कोई नया लॉकडाउन नहीं लागू होना चाहिए।

वहीं सर्दियों का मौसम शुरू हो चुका है, ऐसे में IIT और IIS के वैज्ञानिकों का कहना है कि त्योहारों के मौसम और सर्दियों की वजह से भारत में कोरोना का इंफेक्शन और तेज हो सकता है। इस तरह की गतिविधियों को एक बेहतर सेफ्टी प्रोटोकॉल के साथ संभाला जा सकता है। छोटी जगहों पर भीड़ इकट्ठा करने से बचें।  खासकर बच्चों और 65 साल से ज्यादा उम्र के लोगों का ख्याल रखें। पहले से बीमारी लोग ज्यादा सावधान रहें।।

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