News Room Post

सावधान! कोरोना है बेहद खतरनाक, कम लक्षण वालों में भी रहता है जान जाने का खतरा

Coronavirus

नई दिल्ली। कोरोना के प्रभाव से पूरी दुनिया मुसीबत में है। इसके वैक्सीन को लेकर खोज जारी है। फिलहाल जितनी तेजी के साथ कोरोना की वैक्सीन खोजी जा रही है, उतनी ही तेजी के साथ कोरोना अपना रूप भी बदल रहा है। कोरोना को लेकर पहले ही जानकारी सामने आई थी कि, बिना लक्षण वालों को भी कोरोना संक्रमण हो सकता है। लेकिन अब विशेषज्ञों का मानना है कि जिनमें कम लक्षण हों, उनकी भी जान जा सकती है।

एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोरोना वायरस अब शरीर के कई अंगों पर अलग-अलग तरीके से हमला करता है। लिहाजा सरकार को प्रोटोकॉल को बदलने की जरूरत है। बता दें कि भारत में जनवरी के आखिरी हफ्ते में कोरोना का पहला मरीज मिला था। उस वक्त पॉजिटिव निकलने वाले लोगों में ज्यादा लक्षण नहीं दिखते थे। कुछ लोगों को हल्का बुखार होता था। जबकि कुछ मरीजों को सांस लेने में तकलीफ होती थी। लेकिन अब पिछले 8 महीनों में कोरोना का रूप बदल गया है।

अंग्रेजी वेबसाइट इंडिया टुडे के मुताबिक नीति आयोग ने पिछले हफ्ते एक चर्चा का आयोजन किया था जहां एम्स के डॉक्टरों ने इस वायरस को लेकर अपनी-अपनी राय रखी। इन सबने माना कि मरीज के सारे अंगों पर ये वायरस हमला करता है। एम्स के न्यूरॉलोजी डिपार्टमेंट के प्रमुख डॉक्टर एमवी श्रीवास्तव ने कहा कि उनके पास 35 साल के कोरोना का एक ऐसा मरीज आया जिनमें कोरोना के कोई लक्षण नहीं थे। उन्हें सिर्फ सिर दर्द और उल्टियां हो रही थीं। लेकिन जांच में पता चला कि उनकी नसों में खून जम गया है। ऐसे में उनकी जान को भी खतरा था। डॉक्टरों का कहना है सरकार को अब इस बीमारी के प्रोटोकॉल बदलने की जरूरत है।

इसको लेकर डॉक्टरों का कहना है कि ये वायरस शरीर के कई अंगों पर हमला करता है और मरीज की जान ले सकता है। जैसे  ब्रेन, किडनी, लीवर, हार्ट, ब्लड वेसल्स, आंख और त्वचा पर भी हमला करता है। देश में कोरोना क्लीनिकल रिसर्च टास्क फोर्स के प्रमुख डॉक्टर गुलेरिया ने इस वायरस के बदलते रूप को लेकर पिछले दिनों कहा था कि अब ये ‘सिस्टेमिक डिजीज’ बन गया है।

मेडिकल साइंस की भाषा में उस बीमारी को सिस्टेमिक डिजीज कहा जाता है, जो एक साथ शरीर के कई अंगों पर हमला करता हो। उन्होंने कहा था कि कोरोना से ठीक होने के बाद भी कई मरीजों को फेफड़ों में काफी दिक्कते आती हैं। हालत ये है कि कई महीनों के बाद भी ऐसे मरीजों को घर पर ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है।

Exit mobile version