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Justice Yashwant Verma: कैश जलने के मामले में फंसे जस्टिस यशवंत वर्मा की बेंच वाले 52 मामलों पर दिल्ली हाईकोर्ट ने लिया अहम फैसला, जारी किया ये नोटिस

Justice Yashwant Verma: जस्टिस यशवंत वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी आवास के स्टोर रूम में 14 मार्च की रात आग लगी थी। जब पुलिस और फायर ब्रिगेड के लोग आग बुझाने पहुंचे, तो देखा कि बड़ी तादाद में कैश भी जल गया है। पुलिस के अफसरों ने इसका वीडियो बनाकर दिल्ली पुलिस कमिश्नर को भेजा था। जिन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय को वीडियो भेजा और फिर ये वीडियो वहां से सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना तक पहुंचा। फिर जांच शुरू हुई।

नई दिल्ली। अपने सरकारी आवास के स्टोर रूम में आग लगने से कैश जलने के मामले में घिरे जस्टिस यशवंत वर्मा का इलाहाबाद हाईकोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया था। मामले की जांच के दौरान जस्टिस यशवंत वर्मा के कोई भी केस सुनने पर रोक लगाई गई है। कैश जलने के मामले के दौरान जस्टिस यशवंत वर्मा दिल्ली हाईकोर्ट में थे और तमाम मुकदमे सुन रहे थे। जस्टिस यशवंत वर्मा को इलाहाबाद ट्रांसफर किए जाने के बाद इन मुकदमों से जुड़े लोग सोच रहे थे कि अब इनकी सुनवाई का क्या होगा? अब दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला किया है कि जो मुकदमे जस्टिस यशवंत वर्मा सुन रहे थे, उनकी सुनवाई किस तरह होगी?

दिल्ली हाईकोर्ट ने 21 अप्रैल की कॉज लिस्ट में एक नोटिस भी दिया है। इस नोटिस में कहा गया है कि जस्टिस यशवंत वर्मा और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन की बेंच के सामने जो भी मुकदमे थे, उनमें से जिन पर कोई आदेश नहीं दिया गया है की सुनवाई के लिए अगली तारीख तय की गई है। दिल्ली हाईकोर्ट ने नोटिस में बताया है कि जस्टिस यशवंत वर्मा की बेंच से संबंधित मुकदमे रोस्टर बेंच के सामने लिस्ट कर नए सिरे से सुने जाएंगे। दिल्ली हाईकोर्ट की तरफ से जारी नोटिस में बताया गया है कि जस्टिस यशवंत वर्मा की बेंच 52 मुकदमों की सुनवाई कर रही थी। जिनमें से कई रिट पिटीशन हैं। इनके अलावा प्रॉपर्टी टैक्स से जुड़े 22 मुकदमों में एनडीएमसी एक्ट के प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है। ये सभी मुकदमे साल 2013 से 2025 तक के हैं।

जस्टिस यशवंत वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी आवास के स्टोर रूम में 14 मार्च की रात आग लगी थी। जब पुलिस और फायर ब्रिगेड के लोग आग बुझाने पहुंचे, तो देखा कि बड़ी तादाद में कैश भी जल गया है। पुलिस के अफसरों ने इसका वीडियो बनाकर दिल्ली पुलिस कमिश्नर को भेजा था। जिन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय को वीडियो भेजा और फिर ये वीडियो वहां से सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना तक पहुंचा। संजीव खन्ना ने इस मामले में जस्टिस डीके उपाध्याय से प्रारंभिक जांच कराई। जिसमें जस्टिस यशवंत वर्मा ने कहा था कि घर में कैश होने की उनको कोई जानकारी नहीं। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने तीन जजों की कमेटी बनाकर जांच का काम सौंपा और जस्टिस यशवंत वर्मा का दिल्ली हाईकोर्ट से इलाहाबाद हाईकोर्ट ट्रांसफर किया गया।

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