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सोशल मीडिया पर उठी मांग “अपने दोस्त रूस से सीखिए मोदी जी और हमारा POK और अक्साई चीन वापस लाइये”

नई दिल्ली। क्या आप सोशल मीडिया इस्तेमाल करते हैं। अगर ‘हां’ तो आपकी नजरें मौजूदा वक्त में रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को लेकर सोशल मीडिया पर किए जा रहे पोस्टों पर तो जरूर गई होगी। अगर आपको कूटनीतिज्ञता और सामरिकता की तनिक भी समझ होगी, तो आप यह कहने से गुरेज नहीं करेंगे कि वर्तमान में सोशल मीडिया की दुनिया में पुतिन द्वारा यूक्रेन पर हमले को लेकर दो धड़ों में बंट चुकी है। एक ऐसा धड़ा है, जो पुतिन के इस कदम की जमकर तारीफ कर रहा है, तो एक ऐसा धड़ा है, जो पुतिन के इस कदम की भत्सर्ना कर उसे ऐसा करने से रोकने की हिदायत दे रहा है, लेकिन अब अब एक ऐसा धड़ा भी उभरकर सामने आ रहा है, जो कि अब पीएम मोदी से मांग कर रहा है कि वो भी पुतिन की राहों पर चलकर पाकिस्तान और चीन जैसे मुल्कों के खिलाफ ऐसा ही कदम उठाए।

सोशल म़ीडिया पर बेशुमार ऐसे पोस्ट वायरल होते नजर आ रहे हैं, जिसमे पीएम मोदी से पुतिन की राहों पर चलते हुए चीन और पाकिस्तान के खिलाफ कदम उठाए जाने की मांग की जा रही है। पीएम मोदी से मांग की जा रही है कि वे पुतिन की तर्ज पाकिस्तान की जद में आए कश्मीर और चीन की कैद में आए आक्साइ चिन को भारत में शामिल कराने के लिए कठोर कदम उठाए, लेकिन सवाल है कि क्या पाकिस्तान और चीन के संदर्भ में पीएम मोदी द्वारा पुतिन की राह अपनान प्रासंगिक रहेगा। बताएंगे, आपको सब कुछ, लेकिन उससे पहले आइए आपको सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे उन सभी पोस्टों से रूबरू कराए चलते हैं, जिसमें पीएम मोदी से पाकिस्तान और चीन के संदर्भ में पुतिन की राह अपनाने की मांग की जा रही है।

यहां देखिए सोशल मीडिया पोस्ट…!

तो अगर इन पोस्टों को देखने के बाद आप अंदाजा लगा सकते हैं कि लोग किस कदर पीएम मोदी से पुतिन की राहों पर चलने की मांग की जा रही है, लेकिन सवाल यह है कि क्या पीएम मोदी पाकिस्तान और चीन के संदर्भ में पुतिन की राह अपनाना समझदारी भरा कदम रहेगा। इस संदर्भ में विस्तृत जानकारी देते हुए रक्षा विशेषज्ञ हर्ष कक्कड़ कहते हैं कि दोनों की पारस्परिक तुनला में प्रासंगिक नहीं मानी जा सकती है। रूस द्वारा यूक्रेन के पीछे हमला करने की मुख्य वजह सुरक्षा का कारण रही थी, जबकि भारत की ऐसी स्थिति में ऐसा बिल्कुल भी नहीं है, लिहाजा भारत का पुतिन की राह पर चलना उचित नहीं रहेगा।

इस पूरे मामले पर भारत क्या रूख है  

विदित है विगत शुक्रवार को पीएम मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से फोन पर वार्ता की थी, जिसमें उन्होंने पुतिन युद्ध पर विराम देते हुए शांति की राह अपनाने की बात कही थी, लेकिन यहां गौर करने वाली बात है कि पीएम मोदी की तरफ से कटूनीतिक लिहाज ने रूस द्वारा यूक्रेन पर चढाई करने की ना ही निंदा की गई थी और ना ही यूक्रेन के पक्ष में कोई बयानबाजी की गई थी। ऐसे में आप इन दोनों ही देशों के बीच चल रहे तनाव के दौरान पीएम मोदी की कूटनीतिक प्रबद्धता का अंदाजा सहज ही लगा सकते हैं। उधर, विगत गुरुवार को ही अमेरिका के निर्देश पर रूस के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव पेश किया गया था, जिसमें सभी सदस्य देशों ने मतदान किया था, लेकिन भारत ने मतदान करना तो दूर अपनी मौजूदगी दर्ज कराना भी जरूरी नहीं समझा था, जिसे लेकर आज रूस ने भारत की प्रशंसा भी की है। उधर, आज यानी की शनिवार के राष्ट्रपति ने पीएम मोदी से फोन पर बात कर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में राजनीतिक सहयोग की मांग की है। ऐसी स्थिति में अब यह देखना दिलचस्प रहेगा कि इस पूरे मसले में भारत की आगे चलकर क्या रुख अख्तियार करता है।

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