नई दिल्ली। मोदी सरकार द्वारा 2016 में की गई नोटबंदी सवालों के घेरे में रही है। विपक्ष हमेशा से ही आरोप लगाता आया है कि जिस कालेधन को नोटबंदी के द्वारा वापस लाने का बीजेपी ने वादा किया था, वह तो वापस नहीं आया लेकिन भ्रष्टाचार इसकी बदौलत खूब पनपा है। वहीं नोटबंदी का केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पुरजोर बचाव किया है। कोर्ट में दाखिल हलफनामे में सरकार ने बताया है कि यह टैक्स चोरी रोकने और काले धन पर लगाम लगाने के लिए लागू की गई सोची-समझी योजना थी। नकली नोटों की समस्या से निपटना और आतंकवादियों की फंडिंग को रोकना भी इसका मकसद था।
2016 में नोटबंदी से क्या परेशानी हुई थी?
जब मोदी सरकार द्वारा नोटबंदी का ऐलान किया गया तो बैंकों के बाहर कई किलोमीटर लंबी लाइन लग गई थी। अमीर गरीब बच्चे बूढ़े सभी लंबी-लंबी कतारों में लगे हुए थे। सरकार के इस कदम को 30 से अधिक याचिकाओं के जरिए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई हैं। इन याचिकाओं में यह कहा गया है कि बिना तैयारी के लागू हुई इस योजना के चलते लोगों को बहुत तकलीफ उठानी पड़ी। यह योजना न सिर्फ नियम-कानूनों को ताक पर रखकर लागू की गई, बल्कि इससे लोगों के संवैधानिक अधिकारों का भी हनन हुआ है।