नई दिल्ली। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने सिंधु जल समझौता को स्थगित कर दिया था। ये समझौता अब भी स्थगित है। भारत बांधों के गेट बंद कर पाकिस्तान जाने वाला पानी रोक रहा है। इससे पाकिस्तान में खेती और बिजली बनाने का काम जबरदस्त प्रभावित हुआ है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने तो साफ एलान कर दिया है कि अब सिंधु जल समझौता कभी लागू नहीं होगा। इस बयान के बाद पाकिस्तान सरकार ने कहा है कि वो पानी का हक हासिल करने के लिए हर स्तर पर कदम उठाएगी। वहीं, ये खबर आ रही है कि पानी के मुद्दे पर पाकिस्तान में सेना और नागरिक प्रशासन में मतभेद हो गए हैं। नतीजे में एक बड़े अफसर ने इस्तीफा भी दिया है।
अखबार नवभारत टाइम्स के मुताबिक पाकिस्तान में जल और विद्युत विकास प्राधिकरण यानी WAPDA के अध्यक्ष रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल सज्जाद गनी ने पद छोड़ दिया है। अखबार के मुताबिक सज्जाद गनी ने सेना के साथ मतभेद के कारण इस्तीफा दिया। पाकिस्तान जल और विद्युत विकास प्राधिकरण और सेना के बीच मतभेद पनप गए थे। पाकिस्तान में पहले ही तमाम लोग और नेता ये आरोप लगा रहे हैं कि सेना के कदमों के कारण ही भारत ने सिंधु जल समझौता को स्थगित कर पाकिस्तान के लिए पानी की किल्लत जैसी बड़ी परेशानी खड़ी कर दी है। पीएम नरेंद्र मोदी साफ कह चुके हैं कि पानी और खून एक साथ नहीं बह सकता। उन्होंने ये भी कहा था कि सिंधु जल समझौता उस वक्त तक स्थगित रहेगा, जब तक कि पाकिस्तान पूरी तरह आतंकवाद को खत्म नहीं कर देता।
भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल समझौता 1960 में हुआ था। दोनों के बीच ये द्विपक्षीय समझौता है। जिसमें विश्व बैंक की भी भूमिका रही है। पाकिस्तान की सरकार लगातार ये कह रही है कि भारत ने अंतरराष्ट्रीय समझौते को नहीं माना। वहीं, भारत का कहना है कि पाकिस्तान ने आतंकवादी गतिविधियां की और दुश्मनी के कदम उठाए। ऐसे में सिंधु जल समझौता जारी नहीं रह सकता। पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी और सेना के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने सिंधु जल समझौता स्थगित करने पर भारत को धमकी भी दी, लेकिन भारत ने अपने फैसले से कदम वापस नहीं खींचे। भारत का ये भी इरादा है कि वो 315 किलोमीटर लंबी नहर बनाकर पाकिस्तान जाने वाले पानी को राजस्थान, पंजाब और हरियाणा की तरफ मोड़ेगा। इसमें तीन साल लगेंगे।