नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए चुनाव आयोग को निर्देश दिया है कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के डेटा को फिलहाल डिलीट ना किया जाए। यह याचिका एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) द्वारा ईवीएम के सत्यापन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई है। शीर्ष अदालत ने इस मामले में चुनाव आयोग से जवाब मांगा है और ईवीएम डेटा को रीलोड करने से भी मना किया है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने इस याचिका पर सुनवाई कर रही है।
सुप्रीम कोर्ट बेंच ने कहा कि हम चाहते हैं कि अगर किसी को ईवीएम को लेकर कोई संदेह है तो वो दूर किया जाए। हालांकि कोर्ट ने कहा भी स्पष्ट किया कि हम करण सिंह दलाल और एमए 40/2025 की याचिका पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं और हम विस्तृत प्रक्रिया भी नहीं चाहते हैं। याचिकाकर्ता ने मांग की है कि चुनाव के ईवीएम की मेमोरी और माइक्रोकंटोलर को पेशेवर इंजीनियर से सत्यापित कराया जाए जिससे यह क्लियर हो कि ईवीएम से छेड़छाड़ हुई थी या नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर चुनाव आयोग से जवाब मांगा और इसके लिए 15 दिन का समय दिया।
शीर्ष अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा, कई बार धारणाएं अलग-अलग होती हैं। आपको बता दें कि ईवीएम को लेकर विपक्षी दल कांग्रेस और इंडिया गठबंधन में शामिल अन्य दलों द्वारा सवाल उठाया जाता रहा है। ईवीएम को लेकर हालांकि कई बार सरकार की ओर से स्थिति क्लियर की जा चुकी है कि ईवीएम से छेड़छाड़ संभव नहीं है, बावजूद इसके किसी भी चुनाव में जब कांग्रेस की हार हो जाती है तो कांग्रेस नेता ईवीएम पर ठीकरा फोड़ने लगते हैं। हालांकि जिस चुनाव में कांग्रेस की जीत होती है वहां ईवीएम को लेकर कोई सवाल नहीं उठाया जाता।