नई दिल्ली। 22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा नवनिर्मित भव्य राम मंदिर में होने जा रही है। इस राम मंदिर के लिए देश और दुनिया से बड़े पैमाने पर दान और भेंट भी पहुंची और आखिरकार प्रभु श्री राम की नगरी अयोध्या में बेजोड़ राम मंदिर बनकर तैयार है। लेकिन बाबरी मस्जिद और राम मंदिर विवाद को जो इतिहास रहा है वो आज भी लोगों के जेहन में कैद है। इसको लेकर पूर्व में भी काफी लोगों ने दान दिया है लेकिन अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से करीब एक साल पहले प्रतापगढ़ के सियाराम गुप्ता ने राम मंदिर निर्माण के लिए एक करोड़ रुपये का दान दिया था। काशी क्षेत्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े सियाराम गुप्ता के नाम राम मंदिर निर्माण के लिए पहले दानकर्ता होने का रिकॉर्ड है।
जानकारी के लिए आपको बता दें कि RSS काशी प्रांत के रिकॉर्ड के मुताबिक, सियाराम गुप्ता को राम मंदिर के लिए पहला दानकर्ता माना जाता है और उन्हें मंदिर के प्रतिष्ठा समारोह में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया था। सियाराम ने अत्यधिक खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि आखिरकार भगवान राम आ गए हैं और 500 साल बाद उन्हें अपना घर मिल रहा है। इसके साथ ही उनका जीवन भी प्रभु श्री राम की स्थापना के बाद धन्य और सार्थक हो जाएगा।
गौर करने वाली बात ये है कि नवंबर 2019 सर्वोच्च न्यायलय ने राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद पर अपना फैसला सुनाया, जिसके बाद राम मंदिर निर्माण के लिए धन जुटाने का अभियान शुरू हुआ। हालांकि, सियाराम गुप्ता ने मंदिर निर्माण के लिए अक्टूबर 2018 में ही एक करोड़ रुपये का चेक आरएसएस काशी प्रांत को दान कर दिया था। सियाराम गुप्ता ने न केवल आर्थिक रूप से योगदान दिया बल्कि धन जुटाने के लिए अयोध्या में अपनी 16 बीघे (लगभग 5 एकड़) जमीन भी बेच दी। उनके पास 15 लाख रुपये की कमी थी, जो उन्होंने अपने बेटे, बेटी और रिश्तेदारों से उधार लिया था। सियाराम ने एक करोड़ रुपये दान करने का अपना संकल्प पूरा करने की ठान ली थी, उन्हें विश्वास था कि अयोध्या में भव्य और दिव्य राम मंदिर का निर्माण अवश्य किया जाएगा।
5वीं तक शिक्षा हासिल करने वाले आरएसएस के समर्पित कार्यकर्ता के रूप में पहचान बना चुके सियाराम गुप्ता के सामने तमाम वित्तीय चुनौतियां थीं लेकिन इसके बावजूद भी उन्होंने इसको दान से नहीं तोला, दान देकर कोई प्रचार प्रसार करने का कभी मन में विचार नहीं आया। इसके आलावा उनके विषय में ये भी एक बेहद ख़ास बात है कि उन्होंने प्रतापगढ़-प्रयागराज मार्ग पर भगवान राम और सीता को समर्पित एक मंदिर का निर्माण भी कराया है।