नई दिल्ली। मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा की गई गिरफ्तारियों पर सुप्रीम कोर्ट ने आज बड़ा आदेश दिया है। शीर्ष अदालत ने कहा है अगर मनी लॉन्ड्रिंग मामला विशेष अदालत के संज्ञान में है तो ईडी आरोपी को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत गिरफ्तार नहीं कर सकती। अगर ईडी को आरोपी की कस्टडी चाहिए तो उसके लिए विशेष अदालत में आवेदन दाखिल कर अनुमति लेनी होगी। विशेष अदालत तय करेगी कि आरोपी की कस्टडी ईडी को दी जाए या नहीं।
Supreme Court says that ED can’t arrest the accused under provisions of PMLA after the special court has taken cognisance of the complaint.
Supreme Court also says if ED requires custody then the probe agency can move the application before the concerned court and thereafter the… pic.twitter.com/2vFSbdCpDc
— ANI (@ANI) May 16, 2024
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि समन के बाद कोर्ट में पेश हुए आरोपी को जमानत के लिए आवेदन करने की जरूरत नहीं है। कोर्ट ने कहा है कि जब अदालत चार्जशीट पर संज्ञान लेने के बाद ऐसे आरोपी को समन जारी करे और वह पेश हो जाए, तो उसे बेल मिल जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने अपना आज का फैसला इस सवाल पर सुनाया कि क्या मनी लॉन्ड्रिंग मामले में किसी आरोपी को जमानत के लिए दोहरे परीक्षण से गुजरना पड़ता है, तब भी जब किसी का संज्ञान विशेष अदालत के पास हो। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे केस में धारा 45 में दी गई जमानत की दोहरी शर्त उस पर लागू नहीं होगी।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने आगे कहा, अगर ईडी मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित किसी मामले की आगे की जांच के लिए आरोपी की हिरासत चाहती है और अगर आरोपी समन जारी होने पर पहले ही पेश हो चुका है तो ऐसे मामले में ईडी को विशेष अदालत में आवेदन दायर कर आरोपी की हिरासत मांगनी होगी। शीर्ष अदालत ने कहा कि आरोपी का पक्ष सुनने के बाद विशेष अदालत को आवेदन पर आदेश देना होगा। आरोपी की कस्टडी की मांग वाली ईडी की याचिका पर सुनवाई करते समय अदालत केवल उस शर्त पर हिरासत की इजाजत दे सकती है, जब कस्टडी में पूछताछ जरूरी हो और कोर्ट इसके लिए संतुष्ट हो।