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Uttarkashi: 41 मजदूरों को बाहर निकालने की कोशिश जारी, अब वर्टिकल ड्रिलिंग का लिया जा रहा सहारा

नई दिल्ली। बीते सात दिन से उत्तराखंड के उत्तरकाशी की सुरंग में फंसे 41 मजदूर जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं। तमाम कोशिशों के बाद भी मजदूरों को निकाले का हर तरीका असफल हो रहा है। सरकार लगातार मजदूरों को निकालने की कोशिश कर रही है। उन तक खाना-पानी पहुंचाने का जटिल काम भी किया जा रहा है लेकिन आज यानी आठवें दिन महा-मिशन शुरू हुआ है जिसमें अब पड़ाह के ऊपर से सुरंग बनाने का काम किया जा रहा है। पहाड़ के ऊपर से ड्रिलिंग कर रास्ता बनाने की कोशिश की जा रही है।


वर्टिकल ड्रिलिंग की तैयारी

4.5 किलोमीटर लंबी सिल्क्यारा से डांडागांव सुरंग में तमाम तरीकों के बाद भी मजदूरों को बचाया नहीं जा रहा है कि लेकिन अब  वर्टिकल ड्रिलिंग के जरिए पहाड़ के ऊपर से सुरंग बनाने का काम किया जा रहा है। इसके लिए बड़ी संख्या में वर्कफोर्स को तैनात कर दिया गया है।  सीमा सड़क संगठन ने मदद के लिए मजदूर लगा दिए हैं और उनको वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए पहाड़ पर भेजा जा रहा है। मशीनों की सहायता से भी पहाड़ों को काटने का काम किया जा रहा है और सेफ्टी ब्लॉक लगाकर सुरंग के मुहाने को सुरक्षित करने का काम भी किया जा रहा है।


मौके पर बड़े अधिकारी मौजूद

मौके पर कई बड़े अधिकारी मौजूद हैं, जो हालात पर कड़ी नजर बनाए रखे हुए हैं। ओएसडी भास्कर खुल्बे की उपस्थिति में सारा काम किया जा रहा है। मजदूरों को बचाने के लिए शनिवार को  उच्चस्तरीय बैठक भी की गई और मजदूरों को सुरंग से बाहर निकालने के अलग-अलग तरीकों पर बात की गई और कई अलग-अलग एजेंसियों को इस काम की जिम्मेदारी सौंपी गई है। जिसमें ओएनजीसी (तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम), टीएचडीसी, एनएचआईडीसीएल  (राष्ट्रीय राजमार्ग और अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड),आरवीएनएल,  एसजेवीएनएल (सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड) जैसी कंपनियों के नाम शामिल हैं।


 तेजी से हो रहा बचाव कार्य

भास्कर खुल्बे ने बताया कि मजदूरों को निकालने के लिए पूरे क्षेत्र की ताकत लगा दी गई है। हर तरीके से बचाव का काम किया जा रहा है। हम ऐसा रास्ता बनाने की कोशिश कर रहे हैं जिससे हम मजदूरों को बिल्कुल अंदर पहुंचा सके और उन्हें सुरक्षित बाहर भी निकाल सकें। तेजी से मजदूरों को बचाने के लिए एक बड़ी पाइप का निर्माण किया जा चुका है क्योंकि वैज्ञानिकों को मानना है कि इससे मजदूरों को निकालने में ज्यादा मदद मिलेगी। इससे पहले मजदूरों को बचाने के लिए अमेरिका से एक बड़ी मशीन मंगाई गई थी, जिसे असेंबल करने में ही बहुत  परेशानी झेलनी पड़ी थी।

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