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Maharashtra: तो अब CM की कुर्सी के बाद उद्धव के हाथ से शिवसेना भी गई, फिर दिया शिंदे ने ठाकरे को जोरदार झटका…!

Shivsena

नई दिल्ली। महाराष्ट्र का पूरा सियासी बवाल तो आपको पता ही होगा कि कैसे शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के चहेते रहे एकनाथ शिंदे ने उनके खिलाफ मोर्चा खोलते हुए मुख्यमंत्री की कुर्सी हासिल कर ली है। कोई दो मत नहीं यह कहने में कि शिंदे ने उद्धव ठाकरे के नाक में दम करके रख दिया था और यह उसी का नतीजा है कि आज वे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनने में कामयाब रहे हैं। बगावत की शुरुआत से ही उनका कहना था कि वे कुछ गलत नहीं कर रहे हैं, बस बालासाहब ठाकरे के विचारों को आगे बढ़ा रहे हैं। इस दौरान शिंदे ने उद्धव पर बरसते हुए कहा था कि उन्होंने महाविकास अघाड़ी सरकार चलाने के लिए बालासाहब ठाकरे के विचारों को पलीता लगाने से भी गुरेज नहीं किया। उनके इसी कृत्य से शिवसैनिक आहत हुए हैं। बहरहाल, महाराष्ट्र की सीएम कुर्सी पर विराजमान होने के बाद वे अब शिवसेना पर भी अपना हक जता रहे हैं और खुद को अपने साथ गए बगावती नेताओं को असली शिवसैनिक करार दे रहे हैं। जिसे लेकर अब महाराष्ट्र की राजनीति में चर्चा का बाजार गुलजार हो चुका है। अब इसी बीच शिंदे ने बड़ा ही धमाकेदार फैसला किया है, जिसकी चर्चा अभी अपने चरम पर है। आइए, आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं।

दरअसल, एकनाथ शिंदे ने शिवसेना में उद्धव ठाकरे द्वारा बनाई गई कार्यकारिणी को भंग कर खुद से नई कार्यकारिणी का गठन किया है। गौर करने वाली बात है कि इस कार्यकारिणी में जहां उद्धव के करीबी नेताओं को परे कर दिया गया है, तो वहीं खुद के करीबी नेताओं को जगह दी है। शिंदे ने उद्धव के महज दो करीबी नेताओं को ही जगह दी है। इसके अलावा उन्होंने अपने करीबी नेताओं को कार्यकारिणी में जगह दी है। अब ऐसे में यहां पर यह सवाल पैदा होता है कि आखिर शिंदे द्वारा बनाई गई यह कार्यकारिणी कितनी सार्थक है। खास बात है कि अभी शिंदे द्वारा बनाई गई इस कार्यकारिणी पर उद्धव ठाकरे की ओर से कोई भी प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। हालांकि, माना जा रहा है कि शिंदे के इस कदम के खिलाफ उद्धव ठाकरे सुप्रीम कोर्ट का रुख भी कर सकते हैं। जिसके बाद संभावित रूप से निर्वाचन आयोग निर्णायक भूमिका में नजर आ सकता है। इन तमाम परिस्थितियों के बीच यह देखना दिलचस्प रहेगा कि चुनाव की आयोग की तरफ से फैसला किसके पक्ष में आता है। गौरतलब है कि उद्धव ठाकरे की ओर से साफ कहा जा चुका है कि शिंदे ना ही खुद को शिवसैनिक बता सकते हैं और ना ही बाला साहेब ठाकरे के विचारों को हमसे छीन सकते हैं। इसे लेकर बीते दिनों दोनों के बीच सियासी रार भी देखने को मिलती है। आइए, आगे उन नामों के बारे में विस्तार से जानते हैं, जिन्हें एकनाथ शिंदे ने अपनी कार्यकारिणी में शामिल किया है।

इन नेताओं को मिली कार्यकारिणी में जगह

आपको बता दें कि आदित्य ठाकरे, मनोहर जोशी, लीलाधर डाके, दिवाकर रावते, सुधीर जोशी संजय राव, सुभाष देसाई, रामदास कदम, गजानन कीर्तिकर, आनंद गीते, आनंदराव अडसूल, आनंद राव व एकनाथ शिंदे शामिल थे. शिंदे ने सोमवार को इस कार्यकारिणी की भंग कर अपनी ओर से नई कार्यकारिणी का ऐलान कर दिया. इसमें रामदास कदम और आनंद राव अडसुल और आनंद राव अडसुल को फिर से नेता के तौर पर नियुक्त किया. उप नेता के तौर पर यशवंत जाधव, गुलाबराव पाटिल, उदय सामंत, तानाजी सावंत, शिवाजीराव पाटिल, विजं य नाहटा और शरद पोंसे को नियुक्ति दी गई जबकि दीपक केसरकर को नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी का प्रवक्ता बनाया गया है। अब ऐसे में यह देखना दिलचस्प रहेगा कि एकनाश शिंदे द्वारा बनाई गई कार्यका रिणी का उद्धव विरोध करते हैं या फिर सुप्रीम कोर्ट का रुख करते हैं। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी। हालांकि, अभी जिस तरह का कदम शिंदे ने उठाया है, उस पर सियासी पंडितों का कहना है कि आगामी दिनों में उद्धव सुप्रीम कोर्ट का भी रूख कर सकते हैं।

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