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Rajasthan: गहलोत सरकार की बड़ी लापरवाही, केंद्र सरकार का हजार करोड़ का बजट नहीं चुकाने से अंधेरे में डूबे लाखों परिवार

नई दिल्ली। राजस्थान में इन दिनों ‘बाधित बिजली आपूर्ति’ को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच संग्राम छिड़ा हुआ है। प्रदेश के ढाई लाख परिवार अंधेरे में रहने को मजबूर हैं। चुनाव के मुहाने पर दस्तक दे चुकी गहलोत सरकार लोगों को बिजली मुहैया कराने नाकाम साबित हो रही है। घरों में बिजली आपूर्ति नहीं हो पाने की वजह से आम लोगों को बेशुमार दुश्वारियां झेलनी पड़ रही हैं। जिसे लेकर लोगों के अंदर सरकार के खिलाफ भरा गुबार फूटता नजर आ रहा है। लेकिन गहलोत सरकार आम लोगों को हो रही दुश्वारियों से बेखबर होकर खुद में ही मस्त है। वहीं, इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस-बीजेपी के बीच वार-प्रतिवार का सिलसिला भी जारी है। बीजेपी ने प्रदेश में बाधित हुई बिजली आपूर्ति का आरोप गहलोत सरकार पर लगाया है। बीजेपी का कहना है कि सरकार की कोताही की वजह से आम लोग अंधेरे में रहने को मजबूर हैं।

उधर, बीजेपी विधायक विश्नोई ने गहलोत सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि केंद्र सरकार की ओर से प्रदेश सरकार को बिजली आपूर्ति के लिए 1,022 का बजट आवंटित किया गया था, लेकिन बाद में वह लैप्स हो गया। उधर, राजस्थान सरकार के उर्जा मंत्री भंवर सिंह भाटी ने कहा कि केंद्र सरकार से दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना सौभाग्य को एक साल का विस्तार देने की मांग की गई थी, लेकिन सरकार की ओर से इस पर गंभीरता से ध्यान नहीं दिया गया।

आपको बता दें कि 26 जुलाई 2021 को 1022 करोड़ रुपए का आवंटित किया था, लेकिन बीजेपी का आरोप है कि राजस्थान सरकार की कोताहियों की वजह इस योजना का क्रियान्वयन नहीं हो पाया था। बीजेपी का कहना है कि इस योजना के तहत किसानों को भी मुफ्त में बिजली आपूर्ति करने का प्रावधान किया गया था, लेकिन प्रदेश सरकार ने इस दिशा में कोताही बरती थी। बता दें कि इस योजना में केंद्र सरकार की ओर से 60 फीसद और प्रदेश सरकार की ओर स 40 फीसद वित्तीय भार वहन करने का प्रावधान किया गया था। लेकिन बीजेपी का आरोप है कि प्रदेश सरकार की ओर से केंद्र सरकार को वित्तीय सहायता प्रदान नहीं की गई।

हालांकि, कुछ मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि साल 2018 तक योजना का सचारू रूप परिचालन किया गया था, जिसकी वजह से प्रदेशवासियों को बिजली की आपूर्ति हुई, लेकिन बाद में इस योजना में कोताही बरती गई, जिसके वजह से आम लोगों को अंधेरे में रहने के लिए बाध्य होना पड़ा। बहरहाल, अभी इस पूरे मसले को लेकर राजस्थान सरकार को सियासी मोर्चे पर बेशुमार दुश्वारियों से गुजरना पड़ रहा है। ऐसी स्थिति में अब यह पूरा माजरा आगामी दिनों में क्या रुख अख्तियार करता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।

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