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Jaishankar Slams Modi Haters: ‘अगर 1962 में न हारते तो…’, शी जिनपिंग से PM मोदी के हाथ मिलाने पर विदेश मंत्री जयशंकर ने दी ये प्रतिक्रिया

eam s jaishankar view on modi jinping handshake in bali

नई दिल्ली। बीते दिनों इंडोनेशिया के बाली में जी-20 देशों का शिखर सम्मेलन हुआ था। उस शिखर सम्मेलन के दौरान रात्रिभोज हुआ और तब पीएम नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने हाथ मिलाए थे। इससे भारत में विपक्ष को मुद्दा मिल गया था और उसने मोदी के जिनपिंग से हाथ मिलाने पर जमकर सवाल उठाए थे। मोदी ने तो खुद पर हो रहे हमलों के बारे में कुछ नहीं कहा, लेकिन अब विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस मामले में विपक्ष को जवाब दिया है। एक निजी टीवी चैनल से बातचीत में जयशंकर ने कहा कि चीन से पुराना और बड़ा सीमा विवाद है।

उन्होंने कहा कि 1962 की जंग में चीन से हारने के बाद भारत के सामने दो बड़ी मुश्किलें हैं। जयशंकर ने कहा कि जब मीडिया सीमा पर किसी गांव के बसाए जाने या पुल बनने की बात लिखता है, तो उसे याद होना चाहिए कि ये वही इलाके हैं, जिनको आपने 1962 में खो दिया था। अगर ऐसा नहीं हुआ होता, तो मौजूदा दौर में भी ऐसा न हो रहा होता। उन्होंने कहा कि चीन के बारे में हकीकत ये है कि वो दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। भारत का पड़ोसी है। तथ्य ये भी है कि चीन से निपटने का सही तरीका दृढ़ रहना है। विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि 1962 में हुआ नुकसान हमारी अभी भी बड़ी बाधा है। साथ ही हमने चीन के मुकाबले 15 साल बाद आर्थिक सुधार शुरू किया। वे भी आधे-अधूरे थे।

जयशंकर ने दो टूक कहा कि सैनिकों को सीमा पर ले जाकर चीन जो करना चाहता है, वो हमें भी करना होगा। वे हमारे हितों का समर्थन जहां नहीं करते, वहां हमें भी बातों को सबके सामने लाना चाहिए। जबकि, दोनों देशों के नेताओं के बीच व्यवहार की मर्यादा बनाए रखना जरूरी है, तो जहां इसकी जरूरत हो, वहां वैसा करना भी चाहिए। बाली में भी यही हुआ। जयशंकर ने कहा कि जब भारत जी-20 और शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की कमान संभालने वाला है, तो उसके नेता का व्यवहार संतुलित और सुलझा होना ही चाहिए। विदेश मंत्री ने कहा कि मुझे लगता है कि समझदार लोग भारत के नेता (मोदी) के व्यवहार को समझ सकते हैं।

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