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आर्थिक राहत पैकेज की आखिरी क़िस्त को लेकर वित्त मंत्री की 10 बड़ी बातें, आपको जरूर जाननी चाहिए

Nirmala Sitharaman

नई दिल्ली। कोरोना संकट और लॉकडाउन की वजह से सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए आत्मनिर्भर भारत पैकेज की पांचवी किस्त का वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ऐलान किया । निर्मला सीतारमण ने कहा कि आज 7 ऐसे कदमों की घोषणा की जाएगी। मनरेगा, स्वास्थ्य, कोविड में बिजनस, कंपनी ऐक्ट को गैर आपराधिक बनाना, ईज ऑफ डूइंग बिजनेस, पब्लिक एंटरप्राइजेज, राज्य सरकार और उनके संसाधनों से जुड़े ऐलान किए जाएंगे।

आइए जानते हैं वित्तमंत्री द्वारा पेश की गई आखिरी राहत क़िस्त की 10 सबसे खास बातें-

40 हजार करोड़ बढ़ाया गया मनरेगा का बजट

वित्त मंत्री ने कहा कि शहरों से गांवों की ओर जा रहे प्रवासी मजदूरों को रोजगार की कमी न हो इसलिए मनरेगा का बजट 40000 करोड़ रुपये बढ़ा दिया गया है। इसके अलावा पब्लिक सेक्टर के लिए उन्होंने नई नीति की भी घोषणा की।

कुल 30 करोड़ लोगों के खाते में भेजे गए पैसे

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि पीएम गरीब कल्याण योजना के तहत टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर डायरेक्ट ​बेनिफिट ट्रांसफर कैश किया गया। इसके तहत 8.19 करोड किसानों के खाते में 2-2 हजार रुपये दिए गए हैं।


20 करोड़ जन-धन खातों में 500-500 रुपये भेजे

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इसके अलावा देश के 20 करोड़ जन-धन खातों में डायरेक्ट ​बेनिफिट ट्रांसफर के जरिए 500-500 रुपये भेजे गए।

उज्ज्वला योजना के तहत 6.81 करोड़ धारकों को मुफ्त सिलेंडर 

उज्ज्वला योजना के तहत 6.81 करोड़ रसोई गैस धारकों को मुफ्त सिलेंडर दिया गया। इसके अलावा 2.20 करोड़ निर्माण मजदूरों को सीधे उनके खाते में पैसा दिया गया।

वित्त मंत्री ने कहा कि मजदूरों को उनके गृह राज्यों तक पहुंचाने के लिए 85 फीसदी खर्चा केंद्र सरकार दे रही है। मजदूरों को ट्रेनों में खाना दिया जा रहा है।

पीएम किसान योजना के तहत 8.19 करोड़ किसानों को दी मदद

डीबीटी टेक्नॉलजी से पीएम किसान योजना के तहत 8.19 करोड़ किसानों को मदद दी गई है। वृद्ध और अन्य लोगों को पेंशन दिया गया। जनधन खाता धारक 20 करोड़ महिलाओं के खाते में 10025 करोड़ रुपए डाले गए।

निर्माण कार्य से जुड़े मजदूरों को 3900 करोड़ रुपए से अधिक की मदद दी गई। 2.20 करोड़ लोगों को इसका फायदा हुआ। सभी के खाते में पैसे गए। यह डीबीटी की वजह से संभव है। 6.81 करोड़ सिलेंडर लाभार्थियों को मुफ्त में दिए गए हैं। 12 लाख से अधिक ईपीएफओ खाताधारकों ने पैसे निकाले हैं।

कंपनीज एक्ट 2013 के प्रावधानों के अनुपालन के लिए बोझ घटाया

कोरोना वायरस संकट के दौरान कंपनीज एक्ट 2013 के प्रावधानों के अनुपालन के लिए बोझ घटाया गया। बोर्ड मीटिंग, ईजीएएम, एजीएम आदि वर्जुअल करने की इजाजात दी गई। राइट्स इश्यू को ऑनलाइन किया जा सकता है। पीएम केयर्स के फंड को सीएसआर के लिए मान्यता दी है। 2016 के बाद आईबीसी के जरिए दोगुनी रिकवरी हुई है। 1.84 लाख करोड़ रुपए की वसूली हो चुकी है।

स्वास्थ्यकर्मियों को 50 लाख रुपए का इन्श्योरेंस

कोरोना को रोकने के लिए 15 हजार करोड़ रुपए का ऐलान किया गया था। इसमें 4113 करोड़ रुपए राज्यों को दिए गए। 3750 करोड़ रुपए जरूरी वस्तुओं पर खर्च किए गए। टेस्टिंग किट्स और लैब के लिए 550 करोड़ रुपए दिए गए। कोरोना वॉरियर्स, स्वास्थ्य कर्मियों को 50 लाख रुपए का इंश्योरेंस दिया गया।

टेलीकम्युनिकेशन के परामर्श की शुरुआत

टेलीकम्युनिकेशन के परामर्श की शुरुआत की गई। आरोग्य सेतु को करोड़ों लोगों ने यूज किया। यूपीआई भीम की तरह यह भी देश में बेहद सफल रहा है। हेल्थ वर्कर्स को सुरक्षा देने के लिए कानून में बदलाव किया गया। भारत में एक भी पीपीई कंपनी नहीं थी आज 300 से ज्यादा यूनिट है। लाखों एन95 मास्क बनाए जा रहे हैं। 11 करोड़ एचसीक्यू टैबलेट का उत्पादन किया गया है।

ऑनलाइन पढ़ाई के लिए पीएम ई विद्या योजना की शुरुआत

मल्टीमोड एक्सेस डिजिटल/ऑनलाइन के जरिए पढ़ाई के लिए पीएम ई विद्या योजना की शुरुआत की जाएगी। दीक्षा- स्कूल एजुकेशन के लिए ई-कॉन्टेंट और क्यू आर कोड से जुड़े किताब उपलब्ध कराए जाएंगे। इसका नाम होगा वन नेशन वन डिजिटल प्लैटफॉर्म । हर क्लास के बच्चों की पढ़ाई के लिए अलग टीवी चैनल होगा, वन क्लास वन चैनल योजना के जरिए। रेडियो, कम्युनिटी रेडियो और पॉडकास्ट का इस्तेमाल बढ़ाया जाएगा। द्वियांगों के लिए भी सामग्री तैयार की जाएगी ताकि वे भी ऑनलाइन पढ़ाई कर सकें। अधिकतर बच्चों का समय टीवी और स्मार्टफोन के सामने गुजर रहा है। गतिविधियां कम हो गई हैं। घर से बाहर निकलना कम हो गया है। उनके मेंटल हेल्थ और साइकलॉजी सपॉर्ट के लिए मनोदर्पण की शुरुआत की जाएगी।

जनस्वास्थ्य क्षेत्र में निवेश बढ़ाया जाएगा

जनस्वास्थ्य क्षेत्र में निवेश बढ़ाया जाएगा। इसके लिए रिफॉर्म्स किए जाएंगे। ग्रामीण स्तर पर ऐसी सुविधाएं देने की आवश्यकता है जो महामारी की स्थिति में लड़ने की क्षमता हो। इसके लिए स्वास्थ्य के क्षेत्र में निवेश बढ़ाया जाएगा। ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में वेलनेस सेंटरों को बढ़ावा दिया जाए। सभी जिला स्तर के अस्पतालों में संक्रामक रोगों से लड़ने की व्यवस्था की जाएगी। लैब नेटवर्क मजबूत किए जाएंगे। सभी जिलों में प्रखंडस्तर पर एकीकृत लैब बनाए जाएंगे।

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