नई दिल्ली। देश में आवश्यक वस्तुओं दाल और तेल कीमतों में हो रही जोरदार बढ़ोत्तरी और फिर इन्हें विदेशों से आयात कर देशवासियों को राहत दिए जाने पर आर्थिक सर्वेक्षण में चेताते हुए कहा गया है कि इससे देश के घरेलू उत्पादकों पर गलत असर पड़ेगा और उनमें अनिश्चितता का माहौल पैदा होगा। वित्त्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा सोमवार को पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि देश को एक संतुलित आयात नीति की आवयश्कता है। इसमें कहा गया है कि दालों और खाद्य तेलों जैसी आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में बार-बार आयात शुल्क/टैरिफ संशोधनों के माध्यम से कमी करके उपभोक्ताओं को तत्काल राहत प्रदान की गई है।लेकिन इस प्रकार कीमतें कम करने से घरेलू उत्पादकों में गलत संकेत जाता है और अनिश्चितता का माहौल बनता है। इसमें कहा गया है कि सरकार द्वारा इस दिशा में एक कदम उठाया है, जहां म्यांमार के साथ 2.5 लाख टन उड़द और एक लाख टन तूर दाल और मालावी के साथ एक लाख टन तूर के वार्षिक आयात के लिए पांच साल के समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इसके अलावा और मोजाम्बिक के साथ दो लाख टन तूर के वार्षिक आयात को और पांच साल के लिए बढ़ा दिया गया है।
Principal Economic Adviser Sanjeev Sanyal and Chief Economic Advisor (CEA) Dr V Anantha Nageswaran presenting Economic Survey 2022 pic.twitter.com/QkGbtpbHwI
— ANI (@ANI) January 31, 2022
आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि ये समझौता ज्ञापन विदेशों में उत्पादित और भारत को निर्यात की जाने वाली दालों की मात्रा में पूवार्नुमान सुनिश्चित करेगा। जिससे भारत और दाल निर्यातक देश दोनों को लाभ होगा। किसानों को चावल और गेहूं की खेती से दलहन और तिलहन की खेती के लिए प्रोत्साहित करने से देश को दलहन और तिलहन में आत्मनिर्भर सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी । इससे आयात निर्भरता को कम करने में भी सहायता मिलेगी। सर्वेक्षण में कहा गया है कि भारत में मुद्रास्फीति के निर्धारण में आपूर्ति पक्ष के कारकों के महत्व को देखते हुए, लंबी अवधि की नीतियों से मदद मिलने की संभावना है। दलहन की ओर खेती के लिए किसानों को प्रेरित करने से सरकार चावल और गेहूं के वास्तविक बफर स्टॉक को बनाए रखने में सक्षम होगी। हाल ही में, सरकार क्षेत्र विस्तार, बेहतर उपज देने वाली किस्मों, न्यूनतम समर्थन मूल्य और सरकारी दामों पर खरीद के माध्यम से दलहन और तिलहन के उत्पादन को बढ़ाने को प्राथमिकता दे रही है।
There has been a revival in economic activities to pre-pandemic levels in the year 2021-22. Even though the health cost of the second COVID wave was much more severe, the economic cost of it was much milder: Principal Economic Advisor Sanjeev Sanyal pic.twitter.com/4BOvUuUtKd
— ANI (@ANI) January 31, 2022
जल्द नष्ट होने वाली वस्तुओं के परिवहन और भंडारण के बुनियादी ढांचे पर भी ध्यान दिया गया है। उपभोक्ताओं के लिए कीमतों में मौसमी बढ़ोत्तरी को कम करने , खराब मौसम में उपलब्धता सुनिश्चित करने और वाली आवश्यक वस्तुओं की कम बबार्दी सुनिश्चित करने के लिए बेहतर भंडारण और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन की आवश्यकता है। खराब होने वाली वस्तुओं की फसल के प्रबंधन, बुनियादी ढांचे के लिए व्यवहार्य परियोजनाओं में निवेश के लिए कृषि अवसंरचना कोष का प्रभावी उपयोग देश में कृषि बुनियादी ढांचे में सुधार करने में मदद कर सकता है। इसमें कहा गया है कि ऑपरेशन ग्रीन और किसान रेल जैसी योजनाओं का अधिक फायदा किसानों के साथ-साथ उपभोक्ताओं तक पहुंचाए जाने की जरूरत है।
The economy is estimated to have grown by 9.2% this year after a contraction of 7.3% in the previous year: Principal Economic Advisor Sanjeev Sanyal https://t.co/KgccU72G7F
— ANI (@ANI) January 31, 2022
संसद में सोमवार को पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 में अतिरिक्त तरलता, रुकी हुई दिवाला प्रक्रियाओं से अर्थव्यवस्था में दीर्घकालिक जोखिम आने की संभावना जताई गई है। महामारी से उत्पन्न होने वाले नकारात्मक जोखिमों को नकारने के लिए आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति ने फरवरी से मई 2020 के दौरान रेपो दर में 115 आधार अंकों (बीपीएस) की कटौती की थी। इसके अलावा पूर्ववर्ती बारह महीनों में 135 आधार अंकों की कमी की थी।
#EconomicSurvey 2021-22 shows positive signs of growth in the Indian economy despite the #COVID19 pandemic.
?️: Highlights of the #EconomicSurvey2022 ?@nsitharaman @FinMinIndia @ianuragthakur @DrBhagwatKarad @mppchaudhary @Murugan_MoS @PIB_India @DDNewslive @sanjeevsanyal pic.twitter.com/vzns9kLSuK
— Ministry of Information and Broadcasting (@MIB_India) January 31, 2022
भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स हार्डवेयर के स्थानीय विनिर्माण में दोगुना वृद्धि होने के साथ देश में बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) योजना के तहत 2,595 करोड़ रुपये का निवेश और 67,275 करोड़ रुपये का उत्पादन हुआ है। इनमें से 31 प्रतिशत या 20,568 करोड़ रुपये के उत्पादों का निर्यात किया गया (जून 2021 तक)। यह बात आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 में कही गई है। सर्वेक्षण में कहा गया है, बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण के लिए पीएलआई को 1 अप्रैल, 2020 को अधिसूचित किया गया था, जो मोबाइल फोन निर्माण और असेंबली,परीक्षण, अंकन और पैकेजिंग (एटीएमपी) इकाइयां सहित निर्दिष्ट इलेक्ट्रॉनिक घटकों के निर्माण में शामिल योग्य कंपनियों को वृद्धिशील बिक्री (आधार वर्ष से अधिक) पर 4 से 6 प्रतिशत का प्रोत्साहन प्रदान करता है।