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भारत की बढ़ी ताकत, पांचों राफेल विमान अंबाला एयरबेस पर हुए लैंड

राजनाथ सिंह ने कहा कि, भारत में राफेल लड़ाकू विमानों का आना हमारे सैन्य इतिहास में एक नए युग की शुरुआत है। ये मल्टीरोल विमान भारतीय वायुसेना की क्षमताओं में क्रांतिकारी बदलाव लाएंगे।

नई दिल्ली। फ्रांस से भारत के लिए उड़ान भरने वाले 5 राफेल विमान बुधवार की दोपहर अंबाला एयरबेस पर पहुंचे गए हैं। इसको लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बताया कि, राफेल अंबाला में सुरक्षित लैंड कर चुके हैं। भारत में राफेल लड़ाकू विमानों का आना हमारे सैन्य इतिहास में एक नए युग की शुरुआत है। ये मल्टीरोल विमान भारतीय वायुसेना की क्षमताओं में क्रांतिकारी बदलाव लाएंगे।

आपको बता दें कि चीन सीमा विवाद के बीच फ्रांस से सोमवार को 5 राफेल विमान भारत के लिए उड़ान भर जो चुके थे, जो बुधवार को अंबाला पहुंचे हैं। ये सभी विमान 10 घंटे की दूरी तय करने के बाद सयुंक्त अरब अमीरात में फ्रांस के एयरबेस अल धफरा एयरबेस पर लैंड किए, जहां से फिर भारत पहुंचे। गौरतलब है कि फ्रांस से भारत आने तक राफेल लड़ाकू विमान ने 7 हजार किमी की दूरी तय की।

हरियाणा के अंबाला एयरबेस में बुधवार को राफेल विमान लैंड हुए, जहां उनका स्वागत वाटर सैल्यूट के साथ किया गया।  इस दौरान वायुसेना चीफ RKS भदौरिया भी मौजूद रहे।

इससे पहले राफेल के भारतीय एयर स्पेस में आने पर राजनाथ सिंह ने ट्वीट करते हुए कहा कि, ”बर्ड्स भारतीय वायुसीमा में पहुंच गई हैं भारतीय वायुसीमा में पहुंच गई हैं। हैप्पी लैंडिंग इन अंबाला।”

राफेल की खासियत की बात करें तो इन विमानों में एयर टू एयर रीफ्यूलिंग संभव है। इन मल्टी-रोल फाइटर जेट्स के शामिल होने से भारतीय वायुसेना की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी। राफेल की डिलीवरी और पहले हो जानी चाहिए थी लेकिन कोरोना महामारी के कारण इसकी डिलीवरी लेट हुई है। दिसंबर 2021 में इसके आखिरी बैच के मिलने की उम्मीद है।

राफेल डीएच (टू-सीटर) और राफेल ईएच (सिंगल सीटर), दोनों ही ट्विन इंजन, डेल्टा-विंग, सेमी स्टील्थ कैपेबिलिटीज के साथ चौथी जनरेशन का फाइटर है। ये न सिर्फ फुर्तीला है, बल्कि इससे परमाणु हमला भी किया जा सकता है। इस फाइटर जेट को रडार क्रॉस-सेक्शन और इन्फ्रा-रेड सिग्नेचर के साथ डिजाइन किया गया है। इसमें ग्लास कॉकपिट है। इसके साथ ही एक कम्प्यूटर सिस्टम भी है, जो पायलट को कमांड और कंट्रोल करने में मदद करता है।

इसमें ताकतवर एम 88 इंजन लगा हुआ है। राफेल में एक एडवांस्ड एवियोनिक्स सूट भी है। इसमें लगा रडार, इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन सिस्टम और सेल्फ प्रोटेक्शन इक्विपमेंट की लागत पूरे विमान की कुल कीमत का 30% है।इस जेट में आरबीई 2 एए एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड एरे (AESA) रडार लगा है, जो लो-ऑब्जर्वेशन टारगेट को पहचानने में मदद करता है।

राफेल फाइटर जेट्स मीटियर और स्काल्प जैसी मिसाइलों से भी लैस है। मीटियर विजुअल रेंज के पार भी अपना टारगेट हिट करने वाली अत्याधुनिक मिसाइल है। उसे अपनी इसी खासियत के लिए दुनिया में जाना जाता है। मीटियर की रेंज 150 किमी है। स्काल्प डीप रेंज में टारगेट हिट कर सकती है। स्काल्प करीब 300 किलोमीटर तक अपने टारगेट पर सटीक निशाना लगाकर उसे तबाह कर सकती है।

राफेल की वास्तविक संरचना से हटकर भारतीय सेना इसे और ताकतवर बनवा रही है। वायुसेना इसे हैमर मिसाइल से लैस करवा रही है। इसके लिए इमरजेंसी ऑर्डर कर दिए गए थे। वायुसेना की जरूरत को देखते हुए फ्रांस के अधिकारियों ने किसी और के लिए तैयार किए गए स्टॉक में से भारत को हैमर देने का फैसला किया था। हैमर (हाइली एजाइल मॉड्यूलर म्यूनिशन एक्सटेंडेड रेंज) मीडियम रेंज मिसाइल है, जिसे फ्रांस की वायुसेना और नेवी के लिए बनाया गया था। ये आसमान से जमीन पर वार करती है। हैमर लद्दाख जैसे पहाड़ी इलाकों में भी मजबूत से मजबूत शेल्टर और बंकरों को तबाह कर सकती है।

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