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Gautam Adani Meets Sharad Pawar: विपक्षियों में मची खलबली, गौतम अडानी ने शरद पवार से की मुलाकात, हिंडनबर्ग विवाद में NCP प्रमुख ने उद्योगपति का किया था सपोर्ट

नई दिल्ली। उद्योगपति गौतम अडानी ने एनसीपी प्रमुख शरद पवार से उनके मुंबई स्थित आवास सिल्वर ओक आई जाकर मुलाकात की। सियासी गलियारों में इस मुलाकात को काफी अहम माना जा रहा है। बता दें कि अडानी ने एनसीपी प्रमुख से ऐसे वक्त में जाकर मुलाकात की है, जब विपक्ष लगातार हिंडनबर्ग की रिपोर्ट सामने आने के बाद अडानी के खिलाफ जेपीसी जांच की मांग कर रहा है, लेकिन बीते दिनों एक इंटरव्यू के दौरान पवार ने अपने विपक्षी साथियों से अलग रुख अख्तियार किया था। उन्होंने कहा था कि हमारे विपक्ष के कुछ साथी लगातार अडानी प्रकरण की जेपीसी जांच कराए जाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन मेरा यह मानना है कि जेपीसी में अधिकांश सदस्य सत्तापक्ष के होते हैं। वहीं विपक्ष की नुमाइंदगी बहुत कम होती है। ऐसे में जांच में निष्पक्षता की गुजाइंश कैसे की जा सकती है?

इतना ही नहीं, गत दिनों मीडिया से बातचीत के दौरान भी शरद पवार ने अडानी को जमीन से जुड़ा हुआ उद्योगपति करार दिया था। एनसीपी प्रमुख के इस बयान के बाद विपक्षी कुनबे में खलबली मच गई थी। उधर, उनके भाई अजीत पवार ने भी ईवीएम का समर्थन किया था, जिसके बाद उनके बीजेपी में शामिल होने की चर्चा तेज हो गई, लेकिन बाद में खुद पवार ने इन सभी चर्चाओं को सिरे से खारिज करते हुए स्पष्ट कर दिया कि वो एनसीपी में रहेंगे। एनसीपी उनके लिए जो भी फैसला करेगी, वो उनके हित में रहेगा।

वहीं, इस मुलाकात पर अभी तक किसी ने भी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। अब ऐसे में आगामी दिनों में उनकी तरफ से इस पर क्या प्रतिक्रिया आती है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी। ध्यान रहे कि इस पूरे खेल की शुरुआत तब हुई थी, जब बीते दिनों हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में गौतम अडानी की बजबजाती आर्थिक हालत की कलई खोलकर रख दी थी। रिपोर्ट में दावा किया कि अडानी उपक्रम ने अपनी कंपनी की आर्थिक बदहाली को छुपाते हुए अपने शेयर को बाजार में ग्राहकों को लुभाने के लिए ऊंचे भाव में दिखाया, ताकि निवेशकों को निवेश के लिए रिझाया जा सकें, लेकिन अडानी उपक्रम ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था और हिंडनबर्ग पर मानहानि का केस दर्ज की भी बात कही थी।

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट सामने आने के बाद सभी विपक्षी दल केंद्र सरकार पर हमलावर हो गए हैं। विपक्षियों का आरोप है कि गौतम अडानी को सरकार का संरक्षण प्राप्त है। लिहाजा अडानी प्रकरण की जेपीसी जांच होनी चाहिए, लेकिन सरकार यह जांच कराने को तैयार नहीं है। अब ऐसे में यह पूरा माजरा आगामी दिनों में क्या रुख अख्तियार करता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।

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