नई दिल्ली। शायद नीतीश कुमार विधानसभा चुनाव के दौरान ही इस बात को भलीभांति परख चुके थे कि एनडीए के पाले में रहकर प्रधानमंत्री की कुर्सी पर विराजमान होने का उनका ख्वाब कभी-भी मुकम्मल नहीं हो पाएगा। लिहाजा पहले तो उन्होंने आहिस्ता- आहिस्ता ही सही, लेकिन जिस तरह से बीजेपी से अपनी दूरियां बनाई, उसे पूरे देश ने देखा। जिस तरह वे प्रधानमंत्री द्वारा नीति आयोग की बैठक से नदारद रहे। द्रौपदी मुर्मू के शपथ ग्रहण में समारोह में नहीं पहुंचे और ना ही उनके रात्रिभोज में गए। जिससे एक बात तो साफ हो गई कि वे आगामी दिनों में बीजेपी के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंकने वाले हैं। हालांकि, इससे पहले भी कई मौकों बीजेपी और जदयू के बीच खटपट की खबरें सुर्खियों में रही हैं, लेकिन हर बार यह कहकर उन्हें निर्मूल साबित कर दिया गया कि ऐसा कुछ भी नहीं है। दोनों ही दलों के बीच स्थिति दुरूस्त बनीं हुई हैं, लेकिन ये महज लीपापोती थी, बल्कि अंदरखाने की सच्चाई कुछ और ही थी, जो कि अब नीतीश कुमार के इस्तीफे के रूप में परिलक्षित हो चुकी है।
खैर, नीतीश ने अपना इस्तीफा राज्यपाल फागू चौहान को सौंप दिया है। इसके साथ ही उन्होंने समर्थन प्राप्त विधायकों की सहमति वाला पत्र भी राज्यपाल को सौंप दिया है। वे कल बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में आठवीं बार शपथ लेंगे। उधर, तेजस्वी यादव डिप्टी सीएम पद की शपथ लेंगे। वहीं, सियासी पंडितों की मानें तो नीतीश कुमार ने यह कदम आगामी लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री पद का दावेदार बनने की चाह रखते हुए उठाया है, लेकिन उनके इस कदम की बीजेपी की ओर से जमकर आलोचना की जा रही है।
बता दें कि नीतीश के इस्तीफा देने के तुरंत बाद पहले बिहार से बीजेपी प्रदेश अध्य़क्ष संजय जायसवाल ने प्रेस कांफ्रेंस कर उनकी आलोचना की। उन्होंने नीतीश को पलटू चाचा बताया। जायसवाल ने नीतीश कुमार का जिक्र कर कहा कि पहले उन्होंने अपनी सरकार बनाने हेतु आरजेडी के साथ गठबंधन किया। पहले बीजेपी के साथ और अब फिर से उन्होंने आरजेडी के साथ जाने का फैसला किया है, जिससे यह साफ जाहिर होता है कि वे राजनीतिक मोर्चे पर अपनी विश्वनीयता खो चुके हैं। अब ऐसे में आगामी दिनों में बिहार की राजनीति में क्या कुछ स्थितियां देखने को मिलती है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी। लेकिन इस बीच बीजेपी नेता गिरिराज सिंह ने नीतीश कुमार के इस कदम की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार की महत्वकांशा जागी है। वह अपनी नाकामी दूसरे पर थोप रहे हैं। बिहार की और देश की जनता उनको सबक सिखाएगी। वे बिहार की राजनीति को तोड़ने वालों शामिल हो गए हैं। नीतीश के प्रधानमंत्री बनने के सवाल पर उन्होंने दो टूक कहा, “वो जीवन में कभी भी प्रधानमंत्री नहीं बनेंगे”। बहरहाल, अब देखना होगा कि आगामी दिनों में बिहार की राजनीति में क्या कुछ देखने को मिलता है।