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Gobar-Dhan Gas: गोबर-धन गैस ने देश के बिजली संकट को किया कम, किसानों की आय को किया दोगुना, लोगों ने पीएम को कहा धन्यवाद

MODI

नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने फरवरी 2018 में एक नई गोजातीय केंद्रित योजना शुरू की थी, जिसका उद्देश्य भारतीय किसानों की आय को बढ़ाने और उन्हें दोगुनी अक्षय ऊर्जा प्रदान करना था। इसे भारत के स्वच्छता अभियान के विस्तार के रूप में स्थापित किया गया था।  स्वच्छ भारत मिशन, गांवों को साफ रखने, ग्रामीण परिवारों को आर्थिक बल देने के लिए पशु खाद से बिजली पैदा करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा था। गैल्वनाइजिंग ऑर्गेनिक बायो-एग्रो रिसोर्सेज धन (GOBAR-DHAN) पहल का उद्देश्य बायोडिग्रेडेबल कचरे को कम्प्रेस्ड बायोगैस (CBG) में बदलकर किसानों की आय को बढ़ावा देना है। इसका उद्देश्य उद्यमियों को ग्रामीण क्षेत्रों में समुदाय आधारित सीबीजी सुविधाएं स्थापित करने के लिए भी आकर्षित करना भी है। गाय भारत में पूजनीय है। भारत में उसका काफी सम्मान है। सरकार द्वारा गैस सिलेंडर पर सब्सिडी देने के बावजूद लोगों ने घर के चूल्हे पर कंडों का प्रयोग करना जारी रखा, जिसके चलते वो गोबर को इकट्ठा करते हैं। उनकी ये सदियों पुरानी आदत अब उन्हें काफी फायदा पहुचा रही है। एक रिपोर्ट के अनुसार, देश के इंदौर शहर के बाहरी इलाके के गांवों को शहर की बिजली की मांगों को पूरा करने में मदद करने के लिए एक ट्रायल किया गया, जिसके तहत लोगों को उनके घर में एकत्रित गोबर का टीले प्रदान करने के लिए उनकी उदारता के चलते उन्हें पुरस्कृत किया जा रहा है।

एक 46 वर्षीय किसान ने बताया कि उसने एक दर्जन से ज्यादा ट्रक ताजा खाद 235 डॉलर प्रति शिपमेंट में बेचा है, जो कि सामान्य भारतीय किसान की मासिक आय से कहीं अधिक है। सुरेश सिसोदिया का कहना है कि, “हमारे पास वास्तव में उत्कृष्ट गुणवत्ता वाला गोबर है, और हमारी कोशिश रहती है कि इसे साफ-सुथरा रखें ताकि इसकी अच्छी और ऊंची कीमत मिल सके। बता दें, इस योजना के तहत मवेशियों के गोबर और घरेलू कचरा, जो दहनशील मीथेन गैस और एक जैविक अवशेष पैदा करता है, जो काफी उपयोगी है। हालांकि, संयंत्र की इनपुट क्षमता इस समय प्रतिबंधित है, लेकिन अधिकारी इसे हर दिन 500 टन कचरे तक बढ़ाने की कोशिश में लगे हैं, जिसमें कम से कम 25 टन गोबर शामिल है। इस गोबर का प्रयोग शहर की सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को बिजली देने के लिए भी किया जाएगा। प्लांट के मालिक नितेश कुमार त्रिपाठी ने कहा, “आधी बसें इंदौर चलाएंगी, और बाकी आधी बसें औद्योगिक ग्राहकों को दे दी जाएंगी।”

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