लखनऊ। यूपी में योगी आदित्यनाथ सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए राज्य में बिकने वाले रोजमर्रा के सामान और खाने-पीने की चीजों पर हलाल सर्टिफिकेट को बैन कर दिया था। अब ताजा खबर ये है कि इस संबंध में शैलेंद्र कुमार शर्मा नाम के एक व्यक्ति की ओर से पुलिस में दर्ज कराई गई एफआईआर की जांच का काम सीएम योगी के निर्देश पर एसटीएफ को सौंप दी गई है। इस शख्स ने आरोप लगाया है कि हलाल सर्टिफिकेट देने के नाम पर कुछ संस्थाएं समाज में विभेद पैदा करने की कोशिश कर रही हैं। ये आरोप भी लगाया गया है कि हलाल सर्टिफिकेट जारी करने के लिए जो धन ये निजी संस्थाएं लेती हैं, उनका देशविरोधी गतिविधियों में इस्तेमाल किए जाने का शक है। इस शख्स ने और भी तमाम आरोप हलाल सर्टिफिकेट देने वाली संस्थाओं पर लगाए हैं। इस एफआईआर के लखनऊ में दर्ज होने के बाद ही योगी सरकार के खाद्य वस्तुओं संबंधी विभाग ने प्रदेश में बिकने वाली चीजों में हलाल सर्टिफिकेट को बैन करने का आदेश जारी किया था। अब एसटीएफ को जांच सौंपे जाने से मामला और गरमा सकता है। पढ़िए इस मामले में दर्ज एफआईआर में क्या कहा गया है।
उधर, जमीयत उलमा-ए-हिंद ने सोमवार को बयान जारी किया था कि यूपी की योगी सरकार की तरफ से रोजमर्रा की चीजों पर हलाल सर्टिफिकेट बैन के खिलाफ वो कोर्ट जाएगा। जमीयत के मुताबिक हलाल सर्टिफिकेट बैन करने का कदम गैरकानूनी है। दरअसल, भारत में कुछ संस्थाएं हलाल सर्टिफिकेट जारी करती हैं। मुस्लिमों में हलाल पर काफी जोर दिया जाता है। हलाल का मतलब ये है कि जो उत्पाद और चीजें मुस्लिम इस्तेमाल कर रहे हैं, उनमें इस्लाम में पाबंद उत्पाद तो नहीं मिलाए गए हैं। विदेश, खासकर अरब देशों में भारत का जो भी सामान बिकता है, उसका हलाल सर्टिफिकेट होना जरूरी है। योगी सरकार ने हलाल सर्टिफिकेट पर बैन के दायरे से निर्यात किए जाने वाले उत्पादों को बाहर रखा भी है। ऐसे में जमीयत उलमा-ए-हिंद की तरफ से कोर्ट में केस अभी मजबूत नहीं माना जा रहा है।
योगी सरकार के हलाल सर्टिफिकेट बैन के फैसले में दम इसलिए भी है, क्योंकि पहले ऐसा कोई सर्टिफिकेट किसी भी वस्तु को नहीं दिया जाता था। हलाल सर्टिफिकेट जारी करने का काम काफी बाद में शुरू हुआ। जबकि, रोजमर्रा इस्तेमाल आने वाली चीजों को एफएसएसएआई नाम की सरकारी संस्था ही सर्टिफिकेट देती है। ऐसे में निजी संस्थाओं की तरफ से हलाल सर्टिफिकेट दिया जाना भी एक तरह से गैरकानूनी है। बहरहाल, हलाल सर्टिफिकेट पर यूपी में बैन लगाने के योगी सरकार के कदम के बाद अब मामले में कोर्ट की राय क्या होती है, ये भी देखना पड़ेगा। साथ ही एसटीएफ की जांच के नतीजे का भी सबको इंतजार है।