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Noida Expressway Construction Work: जिस एक्सप्रेसवे पर फर्राटा भरती थीं गाड़ियां, वो क्यों बना जी का जंजाल

नई दिल्ली। क्या आप भी रोज़ सड़क के रास्ते नोएडा या ग्रेटर नोएडा से नौकरी या काम के सिलसिले में दिल्ली या दिल्ली से ग्रेटर नोएडा तक का सफर तय करते हैं ? अगर हां तो आपको बीते कुछ महीनों से आपको पीक आवर के दौरान नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे पर लंबे ट्रैफिक जाम का सामना ज़रूर करना पड़ रहा होगा और आपका आधे या एक घंटे का सफर बढ़कर 1 से 2 घंटे तक का हो जाता होगा। नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे जो गाड़ियों के फर्राटा भरने के लिए जाना जाता है बीते कई महीनों से सुबह और शाम के वक्त गाड़ियां उस पर रेंगती हुई दिखाई देती हैं। ग्रेटर नोएडा से लेकर महामाया फ्लाईओवर और दलित प्रेरणा स्थल होते हुए दिल्ली को जोड़ने वाला 25 किमी लंबा ये एक्सप्रेसवे एक वक्त पर नोएडा की शान माना जाता था लेकिन अब कामकाजी लोगों के जी का जंजाल बन चुका है। दरअसल हुआ यूं कि जनवरी 2021 में नोएडा ऑथोरिटी ने लंबे वक्त से पेंडिंग चल रहे इस एक्सप्रेसवे के रिसर्फेसिंग यानि मरम्मत के काम को पूरा कराने के लिए इंफ्रा कंस्ट्रक्शन एजेंसी नाम की कंपनी को चुना और उसे इसकी ज़िम्मेदारी सौंप दी। इस प्रोजेक्ट को पूरा करने की डेडलाइन पहले जून 2021 में थी लेकिन फिर इसे बढ़ाकर अक्टूबर 2021 और फिर अप्रैल 2022 कर दिया गया। काम की मियाद बढ़ी तो लागत भी बढ़ी लेकिन देश के सबसे अमीर प्राधिकरणों में से एक माना जाने वाला नोएडा प्राधिकरण इस पर आखें मूंदकर बैठा रहा और दूसरी तरफ लोग कई किलोमीटर लंबे जाम से परेशान होते रहे।

हालांकि इस बीच ऑथोरिटी ने जिम्मेदार कंपनी पर 19 लाख रुपए का जुर्माना जरूर लगाया लेकिन काम की गति फिर भी नहीं बढ़ सकी। कंपनी की लेटलतीफी का आलम से अब यह लगभग तय हो गया है कि 30 अप्रैल तक भी एक्सप्रेस-वे का काम पूरा हो पाना मुश्किल है। लिहाजा लोगों की दिक्कतें अभी जारी रहेंगी। हालांकि, शुक्रवार को हुई ऑथोरिटी की बैठक में सीईओ ऋतु माहेश्वरी ने इस पर नाराजगी जरूर जताई और ये भी कहा कि प्राधिकरण निर्माण कर रही कंपनी पर 1 करोड़ रुपए का जुर्माना लगा सकती है। लेकिन सवाल यही है कि आखिर नोएडा ऑथोरिटी को कड़े फैसले लेने में इतना वक्त कैसे लग गया ? प्राधिकरण की नींद बीते साल ही क्यों नहीं टूटी?

नोएडा एक्सप्रेसवे पर हर रोज़ करीब 10 लाख से ज्यादा वाहनों की आवाजाही होती है। ऐसे में सवाल है कि क्या प्राधिकरण इतनी बड़ी तादाद में लोगों को हो रही परेशानी की ज़िम्मेदारी लेगा ? शायद नहीं, क्योंकि एक चीज़ जो सिस्टम को अच्छी नहीं लगती वो है जवाबदेही नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे पर महामाया फ्लाईओवर से 10.3 और 19.4 किलोमीटर की दूरी पर बन रहे अंडरपास का निर्माण लटका हुआ है। इनकी लागत बढ़ चुकी है लेकिन इसे मंजूरी दे दी गई है। सीईओ साहिबा ने सख्त तौर पर कहा है कि अब काम बंद नहीं होना चाहिए और तय समय पर निर्माण पूरा होना चाहिए। अगर लागत बढ़ी या काम बंद हुआ तो विभागीय अधिकारी और ठेकेदार जिम्मेदार होंगे। उन पर कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा इस मामले में टेंडर जारी करने वाले को भी ऑथोरिटी ने तलब किया है। लेकिन एनसीआर वासी ऑथोरिटी से यही पूछ रहे हैं कि सीईओ साहिबा आपकी नींद समय से क्यों नहीं खुली ?

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