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Gujarat Elections : 2002 में ‘सबक सिखाने’ के बाद गुजरात में कायम हुई शांति, गुजरात चुनाव से पहले अमित शाह ने क्यों कही इतनी बड़ी बात?

नई दिल्ली। विधानसभा चुनाव 2022 की तैयारी से पहले सभी पार्टियां एक दूसरे के ऊपर हमलावर हो गई हैं। कांग्रेस बीजेपी पर ईवीएम के साथ छेड़छाड़ करने का आरोप लगा रही है। वहीं बीजेपी सुशासन की दुहाई देकर गुजरात चुनाव की तैयारियों में जोर-शोर से जुटी हुई है। 1 और 5 दिसंबर को दो चरणों में गुजरात के चुनाव संपन्न कराए जाने हैं। उससे पहले आम आदमी पार्टी से लेकर बीजेपी और कांग्रेस सभी पार्टियों ने अपनी कमर कस ली है। इस बीच भाजपा के बड़े नेता एक के बाद एक रोड शो और रैलियां करके गुजरात की जनता को अपनी तरफ खींचने का प्रयास कर रहे हैं इसी सिलसिले में हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को कहा कि गुजरात में पहले असामाजिक तत्व हिंसा में लिप्त होते थे और कांग्रेस उनका समर्थन करती थी लेकिन 2002 में सबक सिखाने के बाद, अपराधियों ने ऐसी गतिविधियां बंद कर दीं और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने राज्य में स्थायी शांति कायम की।

आपको बता दें यह साल 2002 की बात है जब गुजरात में बड़े पैमाने पर दंगे भड़क उठे थे। उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी हुआ करते थे। बीजेपी के शासनकाल में विपक्ष ने आरोप लगाए थे कि यह दंगे भड़काने में उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी का बड़ा हाथ था। गुजरात में फरवरी, 2002 में गोधरा रेलवे स्टेशन पर एक ट्रेन में आग लगने की घटना के बाद राज्य के कई हिस्सों में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी। शाह ने राज्य में अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले खेड़ा जिले के महुधा में भाजपा उम्मीदवारों के पक्ष में एक रैली की। उन्होंने आरोप लगाया, गुजरात में कांग्रेस के शासनकाल में (1995 से पहले), अक्सर साम्प्रदायिक दंगे होते थे। कांग्रेस विभिन्न समुदायों और जातियों के सदस्यों को एक-दूसरे के खिलाफ उकसाती थी। कांग्रेस ने ऐसे दंगों के जरिए अपने वोट बैंक को मजबूत किया और समाज के एक बड़े वर्ग के साथ घोर अन्याय किया।”

इसके अलावा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने यह भी दावा किया कि 2002 में गुजरात में जो दंगे हुए उसके बाद पूरे गुजरात में शांति का माहौल कायम हो सका। शाह ने कहा कि गुजरात में 2002 में दंगे इसलिए हुए क्योंकि अपराधियों को लंबे समय तक कांग्रेस से समर्थन मिलने के कारण हिंसा में शामिल होने की आदत हो गई थी। वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा, ”लेकिन 2002 में सबक सिखाए जाने के बाद ऐसे तत्वों ने वह रास्ता (हिंसा का) छोड़ दिया। वे लोग 2002 से 2022 तक हिंसा से दूर रहे। उन्होंने कहा कि भाजपा ने सांप्रदायिक हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर गुजरात में स्थायी शांति कायम की है।

इसके अलावा जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को धन्यवाद देते हुए शाह ने आरोप लगाया कि कांग्रेस अपने वोट बैंक के कारण इसके खिलाफ थी। 2022 के गुजरात चुनाव में सभी पार्टियां अपने राजनीतिक एजेंडे को लेकर एक दूसरे के ऊपर आरोप-प्रत्यारोप का मढ़ रही हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अरविंद केजरीवाल गुजरात में विधानसभा चुनाव जीतने का दावा कर रहे हैं। वहीं बीजेपी इन दावों को खोखला करार दे रही है।

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